केंद्र की मोदी सरकार ने देश में उच्च शिक्षा के लिए एक आयोग के गठन का फैसला किया है। भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के नाम से प्रस्तावित इस आयोग के गठन के लिए प्रस्तावित विधेयक को अगले महीने मोदी सरकार की कैबिनेट बैठक में विचार के लिए रखा जाएगा। इस आयोग के तहत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) को लाने का प्रावधान रखा गया है। वर्तमान में यूजीसी देश भर के विश्वविद्यालयों का नियमन करता है। वहीं एआईसीटीई इंजीनियरिंग, प्रबंधन, फार्मेसी और अन्य तकनीकी शिक्षा प्रदान करने वाले कालेजों के नियमन का कार्य करता है।
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इसकी जानकारी बुधवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारियों ने दी है। बता दें कि मंत्रालय ने पिछले साल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम-1951 को निरस्त करके विश्विवद्यालय अनुदान आयोग को हटाकर भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) का फैसला किया था। इसके लिए तैयार मसौदा विधेयक को सभी हितधारकों की प्रतिक्रिया और सुझावों के लिए सार्वजनिक करते हुए सबी पक्षकारों की राय मांगी गई थी।
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मंत्रालय का कहना है कि भारतीय उच्च शिक्षा आयोग का उद्देश्य उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और शिक्षा के स्तर में सुधार लाना है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बारे में कहा कि भारतीय उच्च शिक्षा आयोग एक एकल नियामक के रूप में काम करेगा और यूजीसी और एआईसीटीई इसके दायरे में रहेंगे। मंत्रालय का दावा है कि यह विधेयक राज्यों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है। अब इसे अक्टूबर में कैबिनेट के समक्ष विचार के लिए पेश किया जाएगा।
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बता दें कि मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने जुलाई में संसद को भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के गठन के फैसले की जानाकरी देते हुए कहा था कि प्रस्तावित आयोग अकादमिक मानदंड बनाए रखने, उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करने और ज्ञान और नवोन्मेष को बढ़ावा देने के साथ बेहतर प्रदर्शन करने वाले संस्थानों की मदद करेगा।
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