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दो वरिष्ठ जजों का चीफ जस्टिस को पत्र, सुप्रीम कोर्ट के सारे जजों की बैठक में तय हो शीर्ष कोर्ट का भविष्य

सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्षी दलों का महाभियोग नोटिस खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ जजों ने पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट के भविष्य पर चर्चा के लिए फुल कोर्ट बुलाने की मांग की है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ जजों ने सीजेआई को पत्र लिखकर फुल कोर्ट की बैठक बुलाने की मांग की

कांग्रेस की अगुवाई में सात विपक्षी दलों की ओर से सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ दिए गए महाभियोग नोटिस को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू द्वारा खारिज किए जाने के दो दिन बाद शीर्ष अदालत के दो वरिष्ठ जजों ने सीजेआई को पत्र लिखकर 'फुल कोर्ट' बुलाने की मांग की है। जस्ट‍िस रंजन गोगोई और मदन बी लोकुर ने सीजेआई को लिखे पत्र में सर्वोच्च न्यायालय के भविष्य और संस्थागत मुद्दों पर चर्चा के लिए 'फुल कोर्ट' में बहस की मांग की है। पत्र में जजों ने लिखा है कि हमें सांस्थानिक मुद्दों और अदालत के भविष्य पर विचार करने की जरूरत है। हालांकि, वरिष्ठ जजों के इस पत्र का सीजेआई दीपक मिश्रा ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है।

बता दें कि जस्टिस दीपक मिश्रा इस साल अक्टूबर में रिटायर हो रहे हैं और उनके बाद वरिष्ठता के आधार पर जस्टिस रंजन गोगोई देश के प्रधान न्यायाधीशका पद संभाल सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम के सदस्य जस्टिस गोगोई और लोकुर दोनों ने सीजेआई को लिखे अपने पत्र में संवैधानिक और संस्थागत मुद्दों पर चर्चा के लिए फुल कोर्ट के गठन की मांग की है। खबरों के मुताबिक, 23 अप्रैल (सोमवार) को भी सुप्रीम कोर्ट में चाय पर चर्चा के दौरान कुछ जजों ने फुल कोर्ट का मामला उठाया था, लेकिन सीजेआई दीपक मिश्रा ने इसको लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई। न्यायपालिका से जुड़े सार्वजनिक महत्व के गंभीर मुद्दों पर चर्चा के लिए सुप्रीम कोर्ट की ‘फुल कोर्ट’ यानी सभी जजों की बैठक बुलाई जाती है।

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इससे पहले 9 अप्रैल को जस्टिस कुरियन जोसफ ने भी सीजेआई को पत्र लिखकर कॉलेजियम की सिफारिशों पर सरकार के रवैये पर कदम उठाने की मांग की थी। अपने पत्र में जोसफ ने सात जजों की बेंच बनाकर जजों की नियुक्ति को लेकर कॉलेजियम की सिफारिशों पर सुनवाई की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस केएम जोसफ और इंदु मल्होत्रा की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की सिफारिश की है, लेकिन सरकार की तरफ से इसे मंजूरी नहीं दी गई। जिसपर जस्टिस कुरियन जोसेफ ने सीजेआई को पत्र लिखकर विरोध जताया था।

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट के कामकाज और सीजेआई दीपक मिश्रा की कार्यशैली के विरोध में शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठ जजों ने जनवरी में प्रेस कांफ्रेंस कर सुप्रीम कोर्ट में केसों के आवंटन में पारदर्शिता न होने का आरोप लगाया था। वरिष्ठ जजों ने प्रेस कांफ्रेंस में जज लोया की मौत के मामले में सीजेआई के रुख को लेकर भी सवाल उठाया था। जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरह से काम नहीं कर रहा है और अगर ऐसा चलता रहा तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा।

सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व में सात विपक्षी दलों के सांसदों द्वारा दिए गए महाभियोग नोटिस को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने राजनीति से प्रेरित बताते हुए 23 अप्रैल को खारिज कर दिया था।

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