संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने मंगलवार को कहा था कि “हम कांग्रेस समेत दूसरे दलों से बातचीत कर रहे हैं। उम्मीद है बिल राज्यसभा में भी पास हो जाएगा।” मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) बिल को लोकसभा पिछले सप्ताह पास कर चुकी है। बिल को लेकर सीपीआई, सीपीएम, डीएमके, एडीएमक, बीजेडी और समाजवादी पार्टी ने मंगलवार को राज्यसभा के सभापति के साथ मुलाकात की थी। इन सभी दलों ने बिल को सिलेक्ट कमेटी यानी प्रवर समिति के पास भेजे जाने की मांग की है।
फिलहाल, राज्यसभा में एनडीए और कांग्रेस दोनों के ही पास 57-57 सीटें हैं। सरकार के सामने दिक्कत ये है कि बीजू जनता दल और एडीएमके जैसे दल इस सदन में मोदी सरकार की मदद करती रही हैं, लेकिन ट्रिपल तलाक बिल का विरोध कर रही हैं। ऐसे में, अगर यह बिल प्रवर समिति के पास भेजा जाता है तो इसका मतलब यह हुआ कि सरकार इसे संसद के मौजूदा शीत सत्र में पारित नहीं करवा पाएगी। वैसे भी शीत सत्र इस सप्ताह खत्म हो रहा है। यह बिल कानून बने, इसके लिए दोनों सदनों से इसका पास होना जरूरी है।
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निर्दलीय और नामित सदस्यों के अलावा राज्यसभा में 28 दलों के सदस्य हैं। तृणमूल कांग्रेस के 12, समाजवादी पार्टी के 18, तमिलनाडु की एडीएमके के पास 13, सीपीएम के 7, सीपीआई का 1, डीएमके के 4, एनसीपी के 5, पीडीपी के 2, हरियाणा का इंडियन नेशनल लोकदल का 1, शिवसेना के 3, तेलगुदेशम के 6, टीआरएस के 3, वाईएसआर का 1, अकाली दल के 3, आरजेडी के 3, आरपीआई का 1, जनता दल (एस) का 1, केरल कांग्रेस का 1, नगा पीपुल्स फ्रंट का 1 और एसडीएफ का 1 सांसद हैं।
इनके अलावा 8 नामित और 6 निर्दलीय सदस्य भी राज्यसभा में हैं। बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को मिलाकर एनडीए के कुल 88 सांसद हैं, जो कि बिल पास कराने के लिए जरूरी आंकड़े से 35 कम है।
लोकसभा में यह बिल 28 दिसंबर को पेश किया गया था और 7 घंटे के भीतर पास हो गया था। कई संशोधन पेश किए गए, लेकिन सब खारिज हो गए थे। इनमें एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी के भी तीन संधोधन थे।
तीन तलाक को गैरकानूनी बनाने का जो बिल पेश किया गया है उसके मुताबिक, एक बार में तीन तलाक या तलाक-ए-बिद्दत किसी भी तौर पर गैरकानूनी ही होगा। इसमें बोलकर या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस (यानी वॉट्सऐप, ईमेल, एसएमएस) के जरिये भी एक बार में तीन तलाक देना शामिल है। इस मामले में आरोपी को जमानत भी नहीं मिल सकेगी।
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