केरल के पलक्कड़ जिले के अट्टापदी के आदिवासी समुदाय ने सोमवार को विपक्ष के नेता वी.डी. सतीसन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल के साथ अपना दुख साझा किया। प्रतिनिधिमंडल ने आदिवासी बस्ती का दौरा किया, जहां पिछले महीने बच्चों की मौत की सूचना मिली थी। एक हफ्ते में करीब पांच आदिवासी बच्चों की मौत हो गई। अपनी यात्रा के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए सतीसन ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिनाराई विजयन सरकार ने आदिवासी आबादी की समस्याओं को हल करने के लिए बहुत कम काम किया है।
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उन्होंने कहा, "वे दिन गए जब तत्कालीन ओमान चांडी सरकार (2015) स्थिति का जायजा लेने के बाद, अट्टापदी में एक मिनी-कैबिनेट बैठक आयोजित कर कई योजनाएं शुरू करती थी। आज हमें पता चला है कि अधिकांश योजनाएं सरकार ने बंद कर दी है।"
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उन्होंने कहा कि यहां सभी गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के तीसरे महीने से अगले 15 महीनों तक जारी रखने के लिए 2,000 रुपये मासिक सहायता प्रदान करने की योजना थी, जिसमें प्रसवोत्तर देखभाल के लिए फंड मिलना शामिल है, उसे भी बंद कर दिया गया।
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"हमने हाल ही में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री को आदिवासी बस्तियों का दौरा करते देखा। हमने देखा कि इस जगह के नोडल अधिकारी का पहले तबादला किया गया जिसके बाद मंत्री ने दौरा किया। हम यह समझने में विफल हुए कि ऐसा क्यों किया गया। साथ ही यात्रा के बाद मंत्री ने सुविधाओं को खत्म कर दिया।"
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उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासियों के अस्पताल में केवल जूनियर डॉक्टर हैं और कोई विशेषज्ञ नहीं है। उनमें से ज्यादातर मरीजों को उनके बसावट क्षेत्रों से दूर सरकारी अस्पतालों में रेफर कर देते हैं जहां खराब एम्बुलेंस सेवाएं हैं। प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नीत विपक्ष के सहयोगी दलों के शीर्ष नेता भी शामिल थे।
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