मध्य प्रदेश के प्रवास पर आए गांधीवादी पी वी राजगोपाल ने अपना दर्द साझा करते हुए कहा, "महात्मा गांधी ने इस देश को बनाने में बड़ा योगदान और बलिदान दिया है, मगर आज उनके सम्मान का किसी को ख्याल नहीं है, कोई भी किसी भी स्तर का व्यक्ति उन (राष्ट्रपिता) पर किसी भी तरह की टिप्पणी कर देता है और अनर्गल बातें करने वालों के खिलाफ किसी तरह के कानून का प्रावधान नहीं है।"
गांधीवादी समाजसेवी ने कहा कि अगर कोई गाय या राष्ट्रीय पक्षी मोर को मारता है या उस पर हमला करता है तो उसे जेल हो जाती है, लेकिन बापू पर किसी भी तरह से हमला होता है तो कोई अपराध नहीं बनता। यह बेहद अफसोस की बात है। उन्होंने राजनीतिक दलों से मांग की है कि उन्हें संसद के जरिये ऐसा कानून बनाना चाहिए, जिसमें इस बात का प्रावधान हो कि राष्ट्रपिता के खिलाफ कोई किसी तरह की बात ही न कर सके। उन्होंने पाकिस्तान का उदाहरण देते हुए कहा कि पाकिस्तान में कोई सीधे जिन्ना का नाम नहीं ले सकता, उन्हें नाम के पहले 'कायद-ए-आजम' या 'बाबा-ए-कौम' (राष्ट्रपिता) जोड़ना ही पड़ता है। उन्होने कहा कि जब पाकिस्तान में ऐसा हो सकता है तो भारत में क्यों नहीं।
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राजगोपाल ने आगे कहा कि यह देश का दुर्भाग्य है कि जिसे हम राष्ट्रपिता मानते हैं, उसके संरक्षण के लिए एक कानून तक नहीं है। जो चाहे सोशल मीडिया पर उन्हें गालियां दे देता रहता है। उन्होंने इसके लिए सभी दलों को जिम्मेदार ठहराया, क्योंकि उसने ऐसा कानून क्यों नहीं बनाया, जिससे महात्मा गांधी को संरक्षण मिलता। गांधीवादी समाजसेवी का कहना है कि देश में राष्ट्रीय पशु, पक्षी, राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रगीत की रक्षा के लिए तो कानून है, मगर राष्ट्रपिता की रक्षा और उनके संरक्षण के लिए किसी तरह का कानून नहीं, यह स्थिति बड़ी दुखदायी है। लिहाजा, वर्तमान समय में यह आवश्यक हो गया है कि तमाम राजनीतिक दल मिलकर संसद में एक कानून लाएं, जिसके जरिये यह तय किया जाए कि कोई भी व्यक्ति महात्मा गांधी पर किसी तरह की अनर्गल टिप्पणी नहीं करेगा। कोई दुस्साहस करता है तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई का कानून में प्रावधान किया जाए।
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