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टीपू सुल्तान को बलात्कारी और हत्यारा मानते हैं केंद्रीय मंत्री, जयंती समारोह का न्योता ठुकराया

18वीं सदी में मैसूर राज्य के शासक टीपू सुल्तान को केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने हिंदू विरोधी करार देते हुए कनार्टक सरकार द्वारा उनकी जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को लेकर आपत्ति जताई है।

फोटो: सोशल मीडिया 
फोटो: सोशल मीडिया  

18वीं सदी में मैसूर राज्य के शासक टीपू सुल्तान को लेकर बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने टीपू सुल्तान को हिंदू विरोधी करार देते हुए कनार्टक सरकार द्वारा उनकी जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को लेकर आपत्ति जताई है। उन्होंने इसे लेकर कर्नाटक सरकार के अधिकारियों को चिट्ठी लिखी है। मुख्य सचिव और उत्तरी कर्नाटक के उपायुक्त को लिखी चिट्ठी में हेगड़े ने 10 नवंबर को आयोजित होने वाली टीपू सुल्तान जयंती समारोह में उनका नाम शामिल नहीं करने को कहा है।

कर्नाटक के अधिकारियों को लिखे पत्र की कॉपी ट्वीटर पर साझा करते हुए अनंत हेगड़े ने कहा कि मैंने कर्नाटक सरकार को एक ऐसे बर्बर हत्यारे, कट्टरपंथी और बलात्कारी का महिमामंडन करने के लिए आयोजित होने वाले कार्यक्रम में मुझे नहीं बुलाने के बारे में बता दिया है।

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हेगड़े के इस ट्वीट के बाद कर्नाटक का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने हेगड़े की आलोचना करते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री होने के नाते उन्हें इस तरह की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी और ऐसा पत्र नहीं लिखना चाहिए था। उन्होंने बताया कि टीपू सुल्तान जयंती कार्यक्रम में राज्य के सभी मंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों और अन्य गणमान्यों को पत्र भेजा जाता है। समारोह में शामिल होना या न होना उनकी मर्जी पर निर्भर करता है।

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टीपू सुल्तान का नाम उन शुरूआती भारतीय शासकों में लिया जाता है जिन्होंने युद्ध के मैदान पर अंग्रेजों के खिलाफ कड़ा संघर्ष किया और अपने साम्राज्य की रक्षा करते हुए उनकी मृत्यु हो गई।ब्रिटेन के सेना संग्रहालय ने ब्रिटिश साम्राज्य के लिए सबसे बड़ा खतरा बने विरोधी सेनापतियों की जो सूची बनाई, उसमें टीपू सुल्तान का भी नाम शामिल था। जब अंग्रेज भारत पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे थे तब दक्षिण भारत में उन्हें टीपू सुल्तान ने ही रोका था। उन्हें अाधिकारिक तौर पर भारत सरकार द्वारा एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में मान्यता दी गई। अब सवाल यह उठता है कि क्या टीपू सुल्तान का विरोध करने वाले बीजेपी नेताओं का मकसद क्या है? क्या वह भारत के इतिहास से इंकार करना चाहते थे या फिर मुस्लिम शासकों के प्रति अपनी घृणा को दर्शाने का यह उनके लिए एक मौका भर है?

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