विवाद का केंद्र बन चुकी तबलीगी जमात को स्थगित करने का इस धर्म के दिग्गजों ने जमात प्रमुख मौलाना साद कंधालवी को सुझाव दिया था, लेकिन साद ने सुझाव की अनदेखी की। जमात से संबंधित कोविड-19 पॉजिटिव मामले तेजी से बढ़े हैं और भारत में लगभग 20 प्रतिशत मामले इस मंडली से संबंधित हैं। इतना ही नहीं, सरकार ने लगभग 22000 व्यक्तियों का पता लगाया है, जिनका जमात से सीधा संबंध है। कुछ सदस्यों को कुछ राज्यों में क्वारंटाइन किया गया है और सरकार ने बाकी जमातियों से सामने आने और परीक्षण कराने की अपील की है।
Published: 06 Apr 2020, 10:00 PM IST
कांग्रेस नेता मीम अफजल ने आईएएनएस को बताया, "मुझे बताया गया है कि कोरोनावायरस फैलने की बात पता चलने के बाद तबलीगी जमात के स्प्रिंटर समूह ने इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया था। यही सलाह मौलाना साद को विभिन्न लोगों ने भी दी थी।" स्प्रिंटर ग्रुप का मुख्यालय दिल्ली के दरियागंज में मस्जिद फैजि़लाही में है जो शूरा-ए-जमात के नाम से चलता है।
Published: 06 Apr 2020, 10:00 PM IST
उन्होंने यह भी कहा कि जफर सरेशवाला ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि वह इस कार्यक्रम को रद्द करने का अनुरोध करने के लिए साद से मिले लेकिन साद ने उनकी सलाह को नजरअंदाज कर दिया। तब्लीगी जमात के कुछ दिग्गजों ने मौलाना साद की कार्यशैली पर चिंता जताई है।
मुंबई से मोहम्म्द आलम ने आईएएनएस को बताया, "मौलाना साद कोरोनावायरस फैलने के बारे में सब कुछ जानता था लेकिन उसके अड़ियल रवैये ने निर्दोष तब्लीगी जमात के सदस्यों को इस घातक वायरस के मुंह में धकेल दिया है। मौलाना साद, जो दुनिया के मुसलमानों का प्रमुख (अमीर) होने का दावा करता है। साथ ही तब्लीगी मरकज को मक्का और मदीना के बाद सबसे पवित्र स्थान बताता है, उसने कोरोनोवायरस महामारी को नजरअंदाज किया।"
Published: 06 Apr 2020, 10:00 PM IST
जबकि जमात के हमदर्दों ने उनका बचाव किया और कहा कि यह सरकार की विफलता है कि उन्होंने विदेशी यात्रियों को उनके देश जाने की अनुमति नहीं दी। तबलीगी जमात से जुड़े सर्वोच्च न्यायालय के एक वकील फुजैल अहमद अय्यूबी ने कहा, "कर्फ्यू की घोषणा के बाद जमात ने लोगों के अटक जाने के बारे में अधिकारियों को सूचित किया।"
मौलाना साद कंधलावी एक विवादास्पद शख्सियत रहा है। उसने साल 2015 में शूरा की सलाह के विपरीत तबलीगी जमात का विभाजन किया था। उसके दादा ने 1926 में आंदोलन शुरू किया था और बाद में प्रमुख चुनने के लिए शूरा को जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन इसकी अनदेखी कर अपना अलग रास्ता बनाया और अपने नेतृत्व में जमात का बंटवारा किया।
Published: 06 Apr 2020, 10:00 PM IST
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Published: 06 Apr 2020, 10:00 PM IST