संसद का मॉनसून सत्र हंगामे के कारण चल नहीं पा रहा है। दरअसल विपक्ष मणिपुर में 3 मई से जारी हिंसा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जवाबदेही तय करने और इस हिंसा पर बहस करने की मांग कर रहा है। लेकिन पीएम मोदी ने अभी तक मणिपुर हिंसा पर सिर्फ 36 सेकेंड का ही बयान दिया है। गृहमंत्री और दूसरे नेताओं ने जरूर सदन के बाहर और अंदर बयान दिया है, लेकिन विपक्ष चाहता है कि इस घटना को लेकर पीएम मोदी संसद में जवाब दें।
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वहीं विपक्षी गठबंधन INDIA की तरफ से कांग्रेस ने बुधवार को संसद में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया है, जिसे लोकसभा स्पीकर ने मंजूरी दे दी है। लोकसभा स्पीकर ने कहा है कि इस पर चर्चा के लिए वक्त और तारीख बाद में तय किया जाएगा। उधर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि यह अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाया गया है। मनीष तिवारी ने कहा कि यह कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव नहीं बल्कि I.N.D.I.A के घटक दलों द्वारा सामूहिक तौर पर लाया गया है। तिवारी ने कहा कि I.N.D.I.A के घटक दलों की सामूहिक मांग है कि सभी काम को एक तरफ रखते हुए कल ही इस प्रस्ताव के ऊपर, प्राथमिकता रखते हुए पर इस चर्चा होनी चाहिए।
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उन्होंने कहा कि हमें केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की जरूरत पड़ी, क्योंकि पिछले 83-84 दिनों से मणिपुर में जो स्थिति बनी हुई है उस पर कानून-व्यवस्था चरमरा गई है, समुदाय के बीच विभाजन हो गया है। वहां सरकार नाम की चीज नहीं रह गई है। इन तथ्यों ने हमें अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर किया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। मणिपुर की राज्यपाल संविधान में दी हुई धाराओं का इस्तेमाल नहीं कर रही हैं।
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मनीष तिवारी ने कहा कि सवाल संख्या का नहीं बल्कि नैतिकता का है। बुनियादी सवाल यह है कि जवाबदारी किस की है। सदन में जब इस पर मतदान होगा तब नैतिकता की कसौटी पर कौन कहां खड़ा है। सवाल राष्ट्र की सुरक्षा का है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार, सदन का विश्वास खो चुकी है। हमारी मांग है कि सभी कामों को शिथिल करते हुए, लोकसभा अध्यक्ष को प्राथमिकता के साथ कल ही अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरु करनी चाहिए।
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कांग्रेस सांसद ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री सदन से बाहर बयान दे सकते हैं तो उन्हें सदन के अंदर बोलने में कौन सी हिचकिचाहट है? उन्हें दोनों सदनों में मणिपुर पर विस्तृत बयान देना चाहिए, क्योंकि ऐसे बहुत सारे सवाल हैं जिनका जवाब केवल सरकार का शीर्ष नेतृत्व दे सकता है। प्रधानमंत्री को इस अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देना चाहिए।
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