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विपक्ष ने अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार को घेरा, जयराम ने पूछा- निजी निवेश अभी भी सुस्त क्यों है?’

जयराम रमेश ने कहा कि निजी निवेश आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन अभी भी वह सकल घरेलू उत्पाद के 20 से 25 प्रतिशत पर स्थिर है।

जयराम रमेश ने कहा कि निजी निवेश आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है
जयराम रमेश ने कहा कि निजी निवेश आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है फोटो: PTI

विपक्ष ने बृहस्पतिवार को बजट में अर्थवयवस्था की मजबूती के लिए आवश्यक चार मूलभूत मुद्दों की सुस्त रफ्तार पर चिंता जताते हुए सरकार से इसके समाधान की दिशा में कदम उठाने का आग्रह किया।

उच्च सदन में वित्त विधेयक 2024-25 और जम्मू कश्मीर से संबंधित वित्त विधेयक पर संयुक्त चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के जयराम रमेश ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात में निजी निवेश, विनिर्माण, निजी खपत और लोगों की आय में सुस्ती का उल्लेख करते हुए कहा कि इनके बिना भारतीय अर्थव्यवस्था फल-फूल नहीं सकती।

उन्होंने कहा, ‘‘कर की दर में भारी कटौती, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं और विभिन्न उपायों के बावजूद निजी निवेश अभी भी सुस्त क्यों है?’’

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रमेश ने कहा कि निजी निवेश आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन अभी भी वह सकल घरेलू उत्पाद के 20 से 25 प्रतिशत पर स्थिर है।

उन्होंने कहा, ‘‘निजी निवेश के बिना भारतीय अर्थव्यवस्था फल-फूल नहीं सकती। हमें निजी निवेश बढ़ाना होगा। सवाल यह है कि निजी निवेश रफ्तार क्यों नहीं पकड़ रहा है। जीडीपी के अनुपात में यह अभी भी बहुत धीमी है। हम आठ प्रतिशत विकास लक्ष्य को तब तक प्राप्त नहीं कर सकते जब तक कि हम निजी निवेश को प्रोत्साहित नहीं करते।’’

रमेश ने इसके लिए प्रतिकूल परिवेश को दोषी ठहराया और कहा कि लोग विदेश जा रहे हैं और विभिन्न देशों की नागरिकता मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके कारण जो भी हों, वित्त मंत्री को इस प्रश्न का समाधान करने की आवश्यकता है।

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कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि जीडीपी के अनुपात में विनिर्माण नहीं बढ़ रहा है। इसके बढ़ने की बजाय वास्तव में यह जीडीपी के 16.5 प्रतिशत से घटकर 14.5 प्रतिशत हो गया है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2013-14 में भारत से 15 अरब डॉलर का वस्त्र निर्यात किया गया और 2023-24 में यह 14.5 अरब डॉलर हो गया।

रमेश ने कहा कि आज देश से कपड़े का निर्यात 10 साल पहले की तुलना में कम है जबकि वियतनाम का निर्यात भारत की तुलना में दो गुना अधिक है। वहीं बांग्लादेश ने पिछले वर्ष 45 अरब डॉलर का निर्यात किया है।

उन्होंने निजी खपत नहीं बढ़ने पर भी सवाल किया और कहा कि यह केवल शीर्ष आय स्तर पर बढ़ रहा है।

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कांग्रेस नेता ने भारत में वाहनों की बिक्री का उल्लेख करते हुए कहा कि आज कुल वाहनों में 50 प्रतिशत बिक्री एसयूवी का है जबकि छोटे वाहनों की बिक्री कम हुई है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह दिखाता है कि खपत है लेकिन यह उच्च स्तर पर केंद्रित है।’’

रमेश ने निजी उपभोग में भी सुस्ती का दावा किया और कहा की सरकारी सर्वेक्षणों में यह बात सामने आई है कि सभी क्षेत्रों में वेतन और मानदेय लगभग स्थिर बना हुआ है।

उन्होंने कहा कि आय स्थिर बनी रहेगी तो इसका असर खरीदी और खपत पर पड़ेगा।

रमेश ने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था में विकास के चार इंजन हैं। यह डबल इंजन नहीं। ये इंजन है निवेश, खपत, सरकारी खर्च और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार। विकास के सभी इंजन एक गति से आगे नहीं बढ़ रहे हैं। वित्त मंत्री ने सरकारी पूंजीगत व्यय इंजन की गति तेज कर दी है लेकिन निजी निवेश, निजी उपभोग और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का इंजन तेजी से नहीं चल रहा है।’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘मैंने जो मुद्दे उठाए हैं, उसका समाधान किया जाना चाहिए।’’

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चर्चा में हिस्सा लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के प्रकाश चक बाराइक ने कहा कि इस बजट में चाय उद्योग के लिए एक भी पैसे की व्यवस्था बजट में नहीं की गई है। उन्होंने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है।’’

बाराइक ने कहा कि पश्चिम बंगाल में 4.30 लाख चाय मजदूर हैं जबकि उनके परिवार के 25 लाख सदस्य उन पर निर्भर है लेकिन आज उनके जीवन पर अंधेरा छाया हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए बजट में व्यवस्था की जाए। एक विशेष पैकेज घोषित किया जाए और नहीं तो एक नया चाय मंत्रालय शुरू किया जाए।’’

बाराइक ने कहा कि चाय का दूसरा सबसे अधिक उत्पादन बंगाल में होता है लिहाजा इसपर विशेष तौर पर ध्यान दिया जाए।

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द्रविड़ मुनेत्र कषगम के आर गिरीराजन ने कहा कि मध्यम वर्ग इस बजट से नाराज है क्योंकि देश में महंगाई है, करों में उसे कोई राहत नहीं मिली है, छात्रों की फीस बढ़ गई है और शहरों में जीवन की गुणवत्ता बहुत खराब हो गई है।

उन्होंने कहा कि इस बजट में तमिलनाडु के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं की गई है ना ही कोई रेलवे परियोजनाएं घोषित की गई हैं।

गिरीराजन ने कहा कि बजट में तमिलनाडु की चेन्नई मेट्रो परियोजना का भी कोई उल्लेख नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सरकार राज्यों की ‘दुश्मन’ है और वह राज्यों को परेशान कर रही है।

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मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के जॉन ब्रिटास ने वह सरकार से केरल के लिए विशेष दर्जे की मांग नहीं करते हैं लेकिन कम से कम इतनी उम्मीद तो रखते हैं कि वह इस प्रदेश के साथ एक राज्य सा बर्ताव करे।

उन्होंने कहा कि सरकार विभिन्न करों के माध्यम से राज्य से पैसे वसूल करती है लेकिन देने की बारी आती है तो उसका हक मार लिया जाता है।

ब्रिटास ने कहा कि बजट में कई औद्योगिक पार्क शुरु किए जाने की बात की गई है लेकिन इनमें से एक का भी केरल में ना होना, निराशाजनक है।

पीटीआई के इनपुट के साथ

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