कई फिल्मों में महात्मा गांधी का किरदार निभा चुके सुरेंद्र राजन का कहना है कि वर्तमान दौर में महात्मा गांधी को अप्रासंगिक बनने की साजिश रची जा रही है, मगर यह कामयाब नहीं होने वाली, क्योंकि यह कोशिश ठीक वैसे ही है, जैसे पत्थर पर सिर मारना।
बुंदेलखंड के छतरपुर स्थित गांधी आश्रम में महात्मा गांधी की शहादत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए राजन ने आईएएनएस से कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। बुंदेलखंड के अजयगढ़ से नाता रखने वाले राजन कहते हैं, "महात्मा गांधी की पहचान, उनकी निशान मिटाने की कोशिश हो रही है, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिलेगी। दुखद पक्ष तो यह है कि गांधी की शहादत दिवस पर किसी भी अखबार में उस तरह का संदेश या तस्वीर नजर नहीं आ रही है, जैसे पहले हुआ करता था। जो लोग गांधी को अप्रासंगिक करने में लगे हैं, वे भूल जाते हैं कि गांधी का कद इतना छोटा नहीं है कि उन्हें भुलाया जा सके।"
एक सवाल के जवाब में राजन ने कहा, "अपनी उम्र का करीब आठ दशक पूरा कर चुका हूं, मगर आज से पहले महात्मा गांधी के प्रति इस तरह का भाव किसी भी सरकार और राजनीतिक दल में नहीं दिखा। आज सारा देश गांधी को याद कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर रहा है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी होंगे जो लड्डू बांट रहे होंगे। ऐसा इसलिए, क्योंकि उन्हीं से जुड़े लोगों ने गांधी की हत्या की थी।"
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उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मौजूदा दौर में गांधी की देश में छवि को मिटाने की कोशिश हो रही है, तो दूसरी ओर विदेशों में उनका आदर और बढ़ रहा है। जो लोग गांधी की छवि को मिटाना चाहते हैं, वे अपने निचले स्तर पर पहुंच चुके हैं। उसके बाद भी गांधी के चाहने और मानने वालों की संख्या में कमी नहीं आई है। आज गांधी को पाठ्यक्रमों से हटाया जा रहा है, उनके कर्म स्थलों पर चोट हो रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
मुन्ना भाई एमबीबीएस में मुस्तफा का किरदार निभाने वाले सुरेंद्र राजन का कहना है कि जो लोग गांधी को भुलाने और अपने को उनसे ऊपर दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, उनका ही नुकसान होने वाला है। ऐसा इसलिए, क्योंकि गांधी ने हमेशा सत्य और अहिंसा की बात की, जबकि उनको भुलाने में लगे लोग असत्य और हिंसा का सहारा लेकर गांधी बनने की कोशिश कर रहे हैं।
गांधी का कई फिल्मों में निभाए गए किरदार के आधार पर राजन बताते हैं, "कोई भी व्यक्ति गांधी का लिबास पहनकर और एक बार चरखा चलाकर गांधी नहीं बन सकता, मैं स्वयं जब इस किरदार को निभाता हूं, तो मेरे लिए यह काम बड़ा कठिन होता है, क्योंकि गांधी कोई सामान्य शख्सियत नहीं थे। उन्हें आत्मसात करना होता है, उसके बाद ही गांधी की भूमिका निभाना आसान हो पाता है।"
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि जो लोग गांधी के सिद्धांत, उनकी विचारधारा को मिटाने या हटाने की कोशिश कर रहे हैं, वे ही समाज के सामने हास्यास्पद स्थिति में खड़े हो गए हैं। गांधी इतनी छोटी चीज तो थे नहीं कि उन्हें हटाया जा सके।
सुरेंद्र राजन ने एक कहावत के जरिए अपनी बात कहने की कोशिश की। उन्होंने कहा, "यह ठीक वैसा ही काम है, जैसे पत्थर या पहाड़ से सिर को टकराना। सब जानते हैं कि पत्थर से सिर को टकराने पर क्या हाल होगा। उसके बाद भी वे ऐसा किए जा रहे हैं। ईश्वर, अल्ला तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान!"
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