प्रख्यात अर्थशास्त्री जयति घोष ने कहा है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट प्रस्तावों में बेरोजगारी, महंगाई और किसानों की समस्याओं से निपटने की रणनीति का अभाव है।
उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग को दी जाने वाली छोटी-छोटी रियायतें भारत में घरेलू मांग को बढ़ाने के लिए आवश्यक बदलाव लाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
Published: undefined
घोष ने पीटीआई-भाषा से कहा, “बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, किसान संकट, लघु एवं मध्यम उद्यमों की व्यवहार्यता और जलवायु परिवर्तन जैसी भारतीय अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएं हैं और इनपर ध्यान नहीं दिया गया है।”
Published: undefined
उन्होंने कहा, “बजट में किसी भी समस्या का समाधान नहीं किया गया है। जबकि सरकार को यह स्वीकार करना पड़ा है कि ये समस्याएं हैं, लेकिन वह वास्तव में समस्याओं का समाधान करने के लिए आवश्यक परिवर्तन और रणनीति बनाने के लिए तैयार नहीं है।”
उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए किसानों के लिए लगभग कुछ भी नहीं है।
Published: undefined
घोष ने कहा, “कुछ छोटे-मोटे उपाय हैं जो निराश करने वाले हैं। मुझे लगता है कि भारत भर के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को औपचारिक बनाने के बारे में किसी तरह के बयान की उम्मीद कर रहे थे, अगर इसे कानूनी समर्थन नहीं दिया गया।”
उन्होंने कहा कि सरकार देश के उन ‘हताश’ युवाओं के लिए सक्रिय रूप से कुछ कर सकती थी जो रोजगार चाहते हैं।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined