लोकसभा चुनाव के पहले मोदी सरकार ने महिला आरक्षण बिल पास करा कर इसका श्रेय लेने में लग गई है। पीएम मोदी अपने हर भाषण में महिला आरक्षण बिल का जिक्र कर रहे हैं। लेकिन इस बिल से अत्यंत पिछड़ा समाज खुद को ठगा महसूस कर रहा है। वहीं ओबीसी समाज भी इस बिल से खुश नहीं बताया जा रहा है।
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इसी बीच अति पिछड़ा वर्ग ने इस बिल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अति पिछड़ा वर्ग महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश पाल ने इसे ठगने वाला आरक्षण बताया। पाल ने पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि महिला आरक्षण बिल को किसी ने सामाजिक न्याय का ऐतिहासिक फैसला बताया, तो किसी ने पिछड़ा विरोधी होने की संज्ञा दी। लेकिन दुर्भाग्य की बात है किसी राजनीतिक पार्टी के किसी राजनेता ने भी उस समाज की हिस्सेदारी की बात नहीं की, जो वास्तव में आरक्षण के हकदार हैं।
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उन्होंने कहा कि अतिपिछड़ा महासंघ इस मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियों को ध्यान आकृष्ट करने के लिए 2 अक्टूबर से जिलेवार धरना प्रदर्शन एवं समाजिक सभाऐं आयोजित करेगा। उन्होंने कहा कि अत्यंत पिछड़ा समाज, जिसकी आबादी देश में लगभग 35 प्रतिशत है, लोक सभा और विधान सभा में इनकी भागीदारी महिलाओं से भी कम है। उन्होंने कहा कि पिछड़े समाज की महिलाओं का मोदी सरकार हक छीनने का काम कर रही है, जो हमारे समाज को नामंजूर है।
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कैलाश पाल ने जोर देकर कहा कि अत्यंत पिछड़ा सामाज को दरकिनार कर दिया गया। महिला आरक्षण का फैसला देश की सत्ता में झूठा सामाजिक न्याय होगा। सच्चा सामाजिक न्याय के लिये देश में जातीय गणना के माध्यम से अति पिछड़ा वर्ग को चिन्हित करना होगा। उसके बाद 'जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी' की तर्ज पर विधान सभा और लोक सभा में आरक्षण देना होगा।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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