आर्थिक संकट की मार झेल रही देश की टेलीकॉम कंपनियों को रहत देने के लिए केंद्र सरकार डाटा सर्विस और वॉयस कॉल सेवाओं के लिए एक न्यूनतम चार्ज तय कर सकती है। अगर ऐसी स्थिति पैदा हुई तो पिछले कई सालों से उपभोक्ताओं को अनलिमिटेड फ्री कालिंग सर्विस देने वाली रिलायंस जियो की मुफ्त वॉयस कॉल सेवाएं खत्म हो जाएंगी। ऐसे में देश की अन्य टेलीकॉम कंपनियां अपनी डाटा और वॉयस कॉल सेवाओं के शुक्ल में इजाफा कर सकती हैं।
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बता दें कि टेलीकॉम इंडस्ट्री में रिलायंस जियो के आने के बाद सभी कंपनियों में उपभोक्ताओं को लुभाने के लिए टैरिफ चार्जेस के लिए दौड़ शुरू हो गई थी, जिससे इन कंपनियों का मार्जिन काफी घट गया। टेरिफ चार्जेस में आई भारी कटौती और पुराने कर्ज के साथ एडजस्टेड ग्रॉस रिवेन्यू पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उद्योग पर भारी भरकम राशि के भुगतान की मार का नतीजा यह निकला कि टेलीकॉम इंडस्ट्री में आर्थिक तंगी आ गई। इसके अलावा अगले साल 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए भी कंपनियों के सामने नकदी जुटाने की चुनौती खड़ी हो गई है। टेलीकॉम कंपनियों को सात लाख करोड़ की बकाया राशि के भुगतान के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने का समय दिया है।
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जानकारी के मुताबिक वोडाफोन और एयरटेल पर लंबित लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (SUC) की बकाया राशि के साथ सुप्रीम कोर्ट ने क्रमशः 39,000 करोड़ और 41,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान करने का आदेश दिया है। हालांकि कोर्ट ने इस भुगतान के लिए इन्हें तीन महीने का समय दिया है।
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टेलीकॉमटॉक की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने दूरसंचार क्षेत्र के नियामक भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) को न्यूनतम किराया पर अपनी सिफारिश देने के लिए कहा है। जिसके मुताबिक टेलीकॉम कंपनियों को वॉयस और डाटा सर्विसेज के लिए एक न्यूनतम किराया निश्चित रूप से रखना होगा। इससे होगा ये कि वॉयस और डाटा शुल्क में इतनी कमी नहीं आएगी कि कंपनी बंद होने के कगार पर चली जाए।
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