यह बात शायद कई लोगों को बुरी लगे लेकिन यह सच है कि विभिन्न कारणों से तेलंगाना के अधिकांश लोगों को लगता रहा है कि नया राज्य बनाने के समय उनसे वादे तो काफी किए गए, पर उन्हें पूरा नहीं किया गया। इस वजह से वे अपने को ठगा हुआ महसूस करते हैं। उनमें शासन व्यवस्था के प्रति विश्वास कायम करना नई सरकार की प्राथमिकता होगी। यहां सरकार की प्राथमिकताएं अन्य राज्यों से थोड़ी अलग हो सकती हैं और उसकी वजह यह है कि इस राज्य की समस्याएं भी दूसरे किस्म की हैं।
इस दृष्टि से एक काम जो नई सरकार को प्राथमिकता के आधार पर करना होगा, वह है अलग तेलंगाना राज्य के लिए चले आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए मामलों की वापसी। यह विडंबना ही है कि इस आंदोलन की उपज के. चंद्रशेखर राव यहां इतने वर्षों तक सत्तारूढ़ रहे, फिर भी उन्होंने इस दिशा में कारगर कदम नहीं उठाए। इस आंदोलन में शामिल रहे युवा और छात्र नेताओं के खिलाफ मुकदमे अब भी चल रहे हैं। करीब साढ़े चार साल बाद भी वे इन मुकदमों की वापसी के लिए जूझ रहे हैं।
नई सरकार के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना यहां भी प्राथमिकताओं में होगा। इस बार के चुनावों में यह प्रमुख मुद्दा रहा है। कांग्रेस जिस प्रजाकूटमी (प्रजागठबंधन) में रही है, उसने इसे लेकर केसीआर को काफी घेरा। नई सरकार के लिए चुनौती होगी कि वह इस दिशा में क्या और कितना कर पाती है। यहां नरेंद्र मोदी को इसलिए भी उतना बढ़िया रेस्पांस नहीं मिल पाया क्योंकि उनके शासनकाल में नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदमों ने रोजगार का संकट ही पैदा किया।
इसी से जुड़ा मुद्दा यह है कि हस्तकलाओं से जुड़े लोगों और बुनकरों के लिए कदम उठाना। नोटबंदी और जीएसटी ने उनकी कमर तोड़ दी है। केंद्र सरकार ने इन लोगों के लिए ईपीएफ, ईएसआई और अन्य लाभों का वादा किया था लेकिन यह वादा ही रह गया। इसे जमीन पर नहीं उतारा जा सका।
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इस राज्य में अल्पसंख्यकों, आदिवासियों और पिछड़ा वर्ग के लोगों को मुख्य धारा में लाने के लिए प्रयास जरूरी हैं। मुसलमानों के लिए 12 फीसदी आरक्षण के वादे किए जाते रहे हैं। चेलप्पा कमेटी अनुसूचित जातियों की सूची में दो अन्य समुदायों को शामिल करने के मसले पर विचार कर रही है। इन मुद्दों पर राज्य में असहमतियां भी रही हैं। फिर भी, नई सरकार को इस दिशा में कुछ-न-कुछ फैसला लेना ही होगा।
नई सरकार को यहां नए किस्म की राजनीतिक व्यवस्था से भी जूझना होगा। अलग तेलंगाना राज्य आंदोलन के दौरान आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू तेलंगाना राज्य के इच्छुक लोगों की आंखों में खटकते थे। इन चुनावों में कांग्रेस जिस प्रजाकूटमी (प्रजागठबंधन) में रही है, उसमें नायडू प्रमुख नेता हैं।
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