सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूरे देश में मौजूद बाल गृहों की फंडिंग और उनके ऑडिट स्टेट्स का ब्यौरा मांगा है। कोविड-19 महामारी के तत्वाधान में बाल गृहों की स्थिति को स्वत: संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव, हेमंत गुप्ता और एस. रविंद्र भट्ट की पीठ ने न्यायमित्र अधिवक्ता गौरव अग्रवाल से सभी राज्यों से अपनाए गए अच्छे कार्यो की जानकारी वाला शपथपत्र दाखिल करने के लिए कहा, जिससे इस मसले पर एकसमान आदेश पारित करने में मदद मिलेगी।
Published: 21 Jul 2020, 9:00 PM IST
शीर्ष अदालत ने केंद्र को यह भी निर्देश दिया कि बाल गृहों के फंड के उपयोग और उसका ऑडिट भी जमा करें। पीठ ने अग्रवाल से एक नोट तैयार करने और राज्य सरकारों को इसे वितरित करने के लिए कहा।
चेन्नई में एक बाल गृह के 35 बच्चों के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद अदालत ने स्वत: संज्ञान लेते हुए यह आदेश जारी किया है। अदालत ने राज्य सरकार से स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी और वायरल संक्रमण के कारण को बताने के लिए कहा। अदालत ने साथ ही सरकार से इसपर नियंत्रण करने के भी आदेश दिए।
Published: 21 Jul 2020, 9:00 PM IST
मामले की मंगलवार को सुनवाई के दौरान, पीठ ने कहा कि राज्य सरकार का यह दायित्व है कि वह बच्चों की देखभाल करे और शिक्षा, स्वास्थ्य आदि पर अलग से ध्यान केंद्रित करने के स्थान पर एक सामूहिक व्यवस्था पारित करे।
अग्रवाल ने पीठ को बताया कि फंडिंग पैटर्न 60:40 के अनुपात का है, जिसमें से बड़ा अनुपात राज्य सरकार की ओर से दिया जाता है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को मुकर्रर कर दी।
Published: 21 Jul 2020, 9:00 PM IST
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Published: 21 Jul 2020, 9:00 PM IST