सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषी एजी पेरारिवलन की दया याचिका पर तमिलनाडु के राज्यपाल सेको विचार करने के लिए कहा है। जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने अभियुक्तों की रिहाई से जुड़ी याचिका पर केंद्र के विरोध को खारिज करते हुए तमिलनाडु सरकार को निर्देश जारी किया है कि वह इस याचिका पर राज्यपाल की राय लें। इससे पहले 10 अगस्त को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह तमिलनाडु सरकार की तरफ से राजीव गांधी हत्याकांड के अभियुक्तों को रिहा करने के प्रस्ताव के खिलाफ है। केंद्र ने कहा था कि हत्याकांड के दोषियों को छोड़ने या उनकी सजा कम करने से एक 'खतरनाक मिसाल' कायम होगी, जिसका 'अंतराष्ट्रीय प्रभाव' होगा।
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एजी पेरारिवलन (47) ने 20 अगस्त को याचिका पर हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि दिसंबर 2015 में तमिलनाडु के राज्यपाल के समक्ष दायर उसकी दया याचिका पर दो साल से ज्यादा वक्त हो जाने के बाद भी कोई फैसला नहीं हुआ है। पेरारिवलन का कहना है कि उसने अकेले जेल में 24 साल से ज्यादा बिताए हैं। नियमों के अनुसार आजीवन कारावास अधिकतम 20 सालों के लिए होता है और उसने आजीवन कारावास की सीमा से भी ज्यादा समय जेल में बिताया है। राजीव गांधी हत्या मामले में पेरारिवलन पर 9 वोल्ट की उस बैटरी की आपूर्ति करने का आरोप था, जिसका इस्तेमाल उस बेल्ट बम को बनाने के लिए किया गया था, जिससे पूर्व प्रधानमंत्री और 14 अन्य की हत्या हुई थी।
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इससे पहले इसी साल जून में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तमिलनाडु सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें सातों दोषियों को छोड़ने की बात कही गई थी। साल 2016 में तमिलनाडु सरकार ने दोषियों को छोड़ने का फैसला लिया था।
गौरतलब है कि 21 मई 1991 को देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के पेरंबदूर में ओक आत्मघाती बम विस्फोट में हत्या कर दी गई थी। इस हत्या की साजिश के पीछे लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) के नेता प्रभाकरण का हाथ सामने आया था। इस मामले में दोषी पाए गए 7 आरोपी, मुरूगन, पेरारिवलन, संतन, जयकुमार, राबर्ट पायस, रविचंद्रन और नलिनी पिछले 20 साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं।
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