सुप्रीम कोर्ट ने एनकाउंटर में मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस को बुधवार को आगाह किया कि वह खूंखार बदमाशों के खात्मे के लिए अब एनकाउंटर का सहारा न ले। इस दौरान, उत्तर प्रदेश सरकार ने दुबे मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी.एस. चौहान का नाम तीन सदस्यीय समिति की अगुवाई करने के लिए प्रस्तावित किया।
Published: 22 Jul 2020, 3:35 PM IST
प्रदेश सरकार ने जब कहा कि जांच समिति का मुख्यालय कानपुर में होना चाहिए, तब सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे ने पूछा कि यह लखनऊ में क्यों नहीं होना चाहिए।
जानकारी के मुताबिक कानपुर में गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के मामले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएस चौहान और रिटायर्ड डीजीपी केएल गुप्ता को जांच समिति में शामिल किया गया है। यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि जांच समिति में जस्टिस बीएस चौहान और पूर्व डीजी केएल गुप्ता को शामिल किया जाएगा और जस्टिस चौहान ही समिति की अध्यक्षता भी करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इस जांच समिति को दो महीने में इंक्वायरी पूरी करने का आदेश भी दिया है।
Published: 22 Jul 2020, 3:35 PM IST
हम भी देते जस्टिस बीएस चौहान के नाम का सुझाव: CJI
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार सुबह मामले की सुनवाई करते हुए योगी सरकार के हलफनामे पर विचार किया। जांच समिति में यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश बीएस चौहान को शामिल करने की बात कही, जिसे मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सहमति जताई। सुनवाई के दौरान सीजेआई जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े ने कहा कि मैंने भी जस्टिस BS चौहान के साथ कई मामलों की सुनवाई की है, मैंने भी जांच समिति के लिए उसके नाम का सुझाव दिया होता।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
Published: 22 Jul 2020, 3:35 PM IST
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Published: 22 Jul 2020, 3:35 PM IST