सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तमिलनाडु के 'जल्लीकट्टू' कानूम को इजाजत दे दी। इसी तरह के महाराष्ट्र और कर्नाटक सरकारों द्वारा बनाए गए कानूनों को भी शीर्ष अदालत ने इजाजत दे दी है। न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच- न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि यह विधायिका के दृष्टिकोण को बरकरार रखेगी। विधायिका ने यह विचार किया है कि यह राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। शीर्ष अदालत ने कहा कि जब विधायिका ने कहा है कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत है, तो न्यायपालिका कोई अलग विचार नहीं रख सकती। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि विधायिका इसे तय करने के लिए सबसे उपयुक्त है।
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बेंच ने कहा कि अदालत उन सामग्रियों से संतुष्ट है कि जल्लीकट्टू तमिलनाडु में कई साल से चल रहा है और इसे तमिल संस्कृति के अभिन्न अंग के रूप में माना गया है। यह न्यायपालिका के दायरे में नहीं आता।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल दिसंबर में सांडों को काबू करने वाले खेल 'जल्लीकट्टू' और बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति देने वाले तमिलनाडु और महाराष्ट्र के कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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तमिलनाडु सरकार ने एक लिखित जवाब में कहा था कि जल्लीकट्टू केवल मनोरंजन नहीं है, बल्कि महान ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत है।
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जल्लीकट्टू तमिलनाडु में फसल कटाई के मौके पर मनाए जाने वाले उत्सव पोंगल का हिस्सा है। पोगंल चार दिन मनाया जाता है। चार दिन के इस उत्सव में तीसरा दिन खास तौर पर जानवरों के लिए रखा जाता है। तमिल में जली का अर्थ है सिक्के की थैली और कट्टू का अर्थ है बैल का सींग। इस खेल परंपरा को करीब ढाई हजार साल पुराना बताया जाता है।
इस खेल में पहले तीन बैल छोड़े जाते हैं। इन बैल को कोई नहीं पकड़ता है। ये गांव के सबसे बूढ़े बैल होते हैं। जब यह बैल चले जाते हैं तक जल्लीकट्टू शुरू होता है। इस खेल में सिक्कों की थैली को बैलों के सींग पर बांध दिया जाता है। लोगों को भागते हुए बैग से सींग से यह थैली हासिल करनी होती है। जीतने वाले को इनाम भी दिया जाता है।
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इस खेल के दौरान 2010 से 2014 के बीच 17 लोगों की जान गई थी और 1,100 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे। वहीं पिछले 20 सालों में जल्लीकट्टू की वजह से मरने वालों की संख्या 200 से भी ज्यादा थी। इसके बाद मई 2014 में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड बनाम ए. नागराजा मामले में शीर्ष अदालत की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने तमिलनाडु में जल्लीकट्टू के लिए सांडों के उपयोग और देश भर में बैलगाड़ी दौड़ पर प्रतिबंध लगा दिया था। जल्लीकट्टू को अनुमति देने के लिए केंद्रीय कानून, द प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स एक्ट, 1960 में तमिलनाडु ने संशोधन किया।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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