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‘संडे नवजीवन’ के महात्मा गांधी विशेषांक का विमोचन आज, राहुल गांधी, मनमोहन सिंह करेंगे पाठकों को समर्पित

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज नेशनल हेरल्ड समूह के हिंदी अखबार  ‘संडे नवजीवन’ को पाठकों को समर्पित करेंगे। चंडीगढ़ के नजदीक मोहाली में होने वाले इस कार्यक्रम में महात्मा गांधी के 150वें जन्म वर्ष के मौके पर एक विशेषांक का विमोचन भी होगा।

 फोटो : नवजीवन
फोटो : नवजीवन 

नए सफर पर ‘‘नवजीवन’’

कहते हैं कि जब कोई भ्रम की स्थिति आए तो आदमी को आधारभूत बातों पर चिंतन से शुरू करना चाहिए। अपनी बेबाक और निष्पक्ष आवाज के लिए जाने जाने वाले अखबार ‘‘नवजीवन’’ ने एक बार फिर अपनी यात्रा शुरू की है। और इस दौरान हमें यह महसूस हुआ कि आज समाज के फॉल्ट लाइन जिस तरह उभरकर सामने आ गए हैं, वह देश के लिए खतरनाक हैं। ऐसे में हमने गांधी दर्शन की ओर मुड़कर एक बार चीजों की खंगालने का फैसला किया। इसी सोच के साथ गांधीजी पर तैयार ‘नवजीवन’ के विशेषांक का सोमवार को पंजाब के मोहाली में विमोचन होगा। उम्मीद है कि एक बार फिर यह अखबार सच को बेबाक तरीके से लोगों के सामने रखने की अपनी प्रतिष्ठा पर खरा उतर सकेगा।

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बापू पर ऐसा विशेषांक निकालने का फैसला अनायास नहीं, बल्कि काफी सोच-विचार कर लिया गया। आज का समाज एक विशेष रंग में रंगता जा रहा है। खबरों में निष्पक्षता नहीं रही। जान-बूझकर ‘फेक न्यूज’ के हथियार से वैचारिक दुविधा फैलाई जा रही है। दबे-शोषितों की आवाज कहीं दबकर रह गई है। सत्ता के किसी गलत फैसले को गलत कहना जैसे देशद्रोह हो गया है। संवैधानिक संस्थानों की स्वायत्तता पर सवाल उठ रहे हैं। आखिर यह सब क्यों हो रहा है, हम किधर जा रहे हैं। जनता में भ्रम है। ऐसे में ‘‘नवजीवन’’ ने एक बार फिर अपनी यात्रा शुरू करने के तुरंत बाद लोगों की चिंताओं का समाधान गांधीजी के दर्शन में खोजने का प्रयास किया है। एक अखबार के रूप में हम जानते हैं कि जैसे हमने पहले भी तमाम चुनौतियों का निडरता से सामना किया, इस बार भी करेंगे।

इस विशेषांक के विमोचन कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मुख्य अतिथि के तौर हिस्सा ले रहे हैं। उनके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, एसोसिएटेड जर्नल्‍स लिमिटिेड -एजेएल के चेयरमैन मोतीलाल वोरा और पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह भी इस अवसर पर मौजूद होंगे। ‘संडे नवजीवन’ का पुनर्प्रकाशन इसी वर्ष 14 अक्टूबर को प्रारंभ हो चुका है। संडे नवजीवन के दो संस्करण निरंतर दिल्ली और पंचकुला से प्रकाशित हो रहे हैं और पाठकों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं।

विमोचन कार्यक्रम चंडीगढ़ से लगे मोहाली के सेक्‍टर-78 स्थित स्‍पोर्ट्स कांप्‍लेक्‍स में हो रहा है। इस कार्यक्रम में पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और हिमाचल के प्रबुदध जन, लेखक, कलाकार, साहित्‍कार और पत्रकारों के अलावा समाज के अलग-अलग तबकों का नेतृत्‍व करने वाले लोग शामिल होंगे।

वीरों की धरती से अपने दृढ़ इरादों के साथ राष्‍टृपिता महात्‍मागांधी का संदेश लिए ‘‘नवजीवन’’ देश के लोगों के लिए एक नई उम्‍मीद बनकर एक बार फिर अपने पाठकों के सामने होगा। महात्‍मा गांधी ने तकरीबन सौ साल पहले जिस मकसद से ‘‘नवजीवन’’ की शुरुआत की थी वह आज भी उतना ही सामयिक है। दक्षिण अफ्रीका में अश्‍वेतों के खिलाफ जुल्‍म की दास्‍तां पूरी दुनिया सुन रही थी। वहां भारतीयों के साथ होने वाले भेदभावों और अत्‍याचारों के खिलाफ लेखनी थामने वाले महात्‍मा गांधी हिंदुस्‍तान में अपने लेखन को नए मकाम पर ले गए। गांधी जी के दक्षिण अफ्रीका के अनुभव हिंदुस्‍तान की अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ शांतिपूर्ण सत्‍याग्रह में काम आए। पत्रकारिता के जरिये वह जहां अंग्रेजी हुकूमत को सावधान करते रहे वहीं भारत की जनता को जागृत करते रहे। उनके इस आंदोलन का अहम सारथी बना ‘‘नवजीवन’’।

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एक बार फिर देश में सत्‍ता प्रतिष्‍ठान की ओर से जिस तरह से स्‍वतंत्र आवाजों को दबाया जा रहा है। लोकतंत्र के अहम स्‍तंभों के दैनंदिन कार्य में बाधा पहुंचाई जा रही है। आराजकता, भेदभाव, असमानता, दमन का माहौल है। देश के आम जन के मूल मसलों से ध्‍यान हटाने के लिए तमाम तरह की भ्रातियां, अफवाहें फैलाई-गढ़ी जा रही हैं। समाज- मीडिया में बहस-मुबाहसों के विषय सत्‍ता प्रतिष्‍ठान खुद तय कर-करवा रहा है। जवाबदेही के स्‍थान पर ऐसे सवाल उछाले-उछलवाए जा रहे हैं, जिससे देश का विमर्श ही बदल जाए।

ऐसे माहौल में ‘‘नवजीवन’’ अपने पाठकों के बीच एक बार फिर इस संकल्‍प के साथ दस्‍तक दे रहा है कि वह देश के अंतिम जन की आवाज बने। वह उन अहम मसलों पर देश में एक विमर्श खड़ा करेगा जो मुख्‍य धारा से गायब हैं। ये मसले देश की सत्‍ता में बैठे शीर्ष लोगों के एजेंडे में नहीं हैं। देश की आजादी के पहले और आजादी मिलने के बाद ‘नवजीवन’ ने आम जन मानस में राष्‍ट्र निर्माण के लिए एक व्‍यापक सोच बनाने में बड़ी भमिका का निर्वहन किया है। आज फिर उसकी आवश्‍यकता है।

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