हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार घोटालों से लेकर गंभीर बेरोजगारी संकट और प्रदेश को कर्ज में डुबोने तक के आरोपों से बुरी तरह घिरी हुई है। अब उसका स्थानीय युवाओं को निजी उद्योगों में 75 फीसदी आरक्षण का फैसला भी जुमला माना जा रहा है। लिहाजा, पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश की बीजेपी-जेजेपी सरकार को एक बार फिर आईना दिखाया है। उन्होंने घोटालों की लंबी फेहरिस्त पेश करते हुए कहा कि इस सरकार में एक और घोटाला सामने आया है। प्रदेश में करोड़ों रुपए का चावल घोटाला हुआ है। इससे पहले धान खरीद, शराब, माइनिंग, भर्ती, पेपर लीक, छात्रवृत्ति, बिजली मीटर और दवा खरीद जैसे कई घोटाले सामने आ चुके हैं। यमुना से लेकर अरावली तक अवैध खनन करके करोड़ों रुपए का घोटाला अंजाम दिया जा रहा है। ऐसा लग रहा है प्रदेश में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन की नहीं, घोटालों की सरकार चल रही है। प्रदेश सरकार ना किसी घोटाले की ढंग से जांच करवा रही है और ना ही किसी पर कार्रवाई कर रही है।
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भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि मौजूदा सरकार में जनता क्राइम, करप्शन और कास्टिज़्म से त्रस्त है। इसलिए बरोदा उपचुनाव में जनता बीजेपी को कड़ा सबक सिखाएगी। इस उपचुनाव में कांग्रेस भारी अंतर से जीतेगी। अगर मुख्यमंत्री खट्टर बीजेपी की तरफ से उपचुनाव के उम्मीदवार बनते हैं तो वह बरोदा में कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़ने को तैयार हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री खट्टर के पास ना वर्तमान में जताने के लिए कुछ है और ना ही भविष्य में बताने के लिए कुछ, इसलिए वह सिर्फ भूतकाल की बात करते हैं। भूतकाल की बात वह करता है, जिसको भविष्य से कोई उम्मीद ना हो। लेकिन मुख्यमंत्री को भूतकाल के बारे में भी पता होना चाहिए कि पिछले विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाला उम्मीदवार कौन था। साथ ही उन्हें पता होना चाहिए कि ख़ुद मुख्यमंत्री के हलके करनाल में सबसे कम वोटिंग हुई और सबसे ज़्यादा नोटा का इस्तेमाल हुआ था, इसलिए मुख्यमंत्री को भूतकाल छोड़कर वर्तमान और भविष्य पर बात करनी चाहिए।
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नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वर्तमान में बीजेपी सरकार से अपराधियों के अलावा कोई वर्ग ख़ुश नहीं है, क्योंकि सरकार ने कोरोना जैसे मुश्किल दौर में भी लोगों की जेब काटने का काम किया है। जनता से भारी भरकम टैक्स, कोरोना रिलीफ फंड वसूलने और कर्ज़ पर कर्ज़ लेने के बावजूद सरकार ने किसी वर्ग को कोई राहत नहीं दी। किसान, मजदूर, दुकानदार, व्यापारी और कर्मचारी सरकार का मुंह ताकते रहे, लेकिन सरकार ने उनकी हालत पर तरस नहीं खाया। उल्टा टैक्स और तेल के दाम बढ़ाकर उनपर महंगाई की मार मारने का काम किया गया। अब सरकार ने 2021 तक कर्मचारियों का डीए भी ख़त्म कर दिया है। लेकिन सच ये है कि जबतक यह सरकार रहेगी, कर्मचारियों के भत्तों में ऐसे ही कटौती होती रहेगी। हुड्डा ने कहा कि यह सरकार किसान और कर्मचारी विरोधी है, इसलिए उसने 1983 पीटीआई को नौकरी से बर्ख़ास्त किया। जबकि सरकार को उनकी नौकरी बचाने का रास्ता निकालना चाहिए था। हमारी सरकार के दौरान भी इनेलो सरकार में नौकरी से बर्खास्त किए गए 1800 पुलिसकर्मियोंको जेल वार्डन बनाया गया था। इसी तरह इनेलो सरकार में हुई 3206 जेबीटी टीचर्स भर्ती में घोटाला साबित होने के बावजूद उन्हें नौकरी से नहीं निकाला गया। इनेलो सरकार के दौरान नौकरी से निकाले गए एमआईटीसी कर्मियों को भी हमारी सरकार में वापस रोज़गार दिया गया। क्योंकि सरकार का काम नौकरी देना होता है, छीनना नहीं।
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हुड्डा ने कहा कि सरकार धरातल पर कोई काम करने की बजाए नए-नए जुमले गढ़ने में लगी है। अब सरकार की तरफ से प्राइवेट नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण का नया जुमला छोड़ा गया है, जबकि उसे पता होना चाहिए कि ऐसा प्रावधान तो हरियाणा में 2011 से ही लागू है। लेकिन बीजेपी सरकार का यह ऐलान सिर्फ नए उद्योगों पर ही लागू होगा। जबकि उसका 6 साल का ट्रैक रिकॉर्ड बताता है कि उसके कार्यकाल में नए उद्योग लगने की बजाए, पुराने उद्योग भी हरियाणा से पलायन कर रहे हैं। इसलिए 75 फीसदी के इस क़ानून से प्रदेश के युवाओं को कितना फ़ायदा होगा और यह क़ानून ज़मीनी स्तर पर लागू होगा भी या नहीं, इसको लेकर बड़ा संशय है।
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