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सौर ऊर्जा योजनाः हरियाणा में हवा साबित हुई सोलर प्लांट की बिजली से पैसा कमाने की योजना

हरियाणा की बीजेपी सरकार ने साल 2019 तक चार सौ मेगावाट सौर उर्जा की क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब तक यह अधूरा है। साथ ही खट्टर सरकार ने 31 मार्च 2019 तक सैकड़ों किसानों को सोलर पंप देने का भी लक्ष्य तय किया था, जो कि अभी आधे तक ही पहुंचा है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

बड़ी-बड़ी घोषणाएं करने वाली बीजेपी सरकारों में तमाम योजनाओं की तरह हरियाणा की खट्टर सरकार ने भी सौर ऊर्जा को लेकर बड़े-बड़े लक्ष्य रखते हुए नारा दिया था- ‘अब खुद बिजली बनाइए और बिजली निगम को बेच दीजिये’। लेकिन सौर उर्जा को लेकर हरियाणा सरकार का दिखाया यह सपना पूरा होना तो दूर, इसके पूरे होने की अब कोई संभावना भी नहीं दिख रही।

ठीक इसी तरह किसानों को सोलर पंप उपलब्ध करवाने के दावे किए गए थे। अक्षय उर्जा विभाग के आंकड़ों पर यकीन करें तो साल 2019 तक चार सौ मेगावाट बिजली सौर उर्जा के जरिये पैदा करने का लक्ष्य राज्य में तय किया गया था। इसमें से महज 150 मेगावॉट बिजली का उत्पादन ही किया जा सका है।

हरियाणा में अक्षय उर्जा विभाग के माध्यम से ग्रिड कनेक्टिंग पावर प्लांट योजना शुरू हुई थी। इसमें घरों की छतों पर सोलर प्लांट लगाकर बिजली पैदा की जानी थी। इसमें 30 प्रतिशत सब्सिडी देने की व्यवस्था है। सौर ऊर्जा से पैदा बिजली निगमों को बेचकर लोगों के लिए एक सुनिश्चित आय का जरिया बनाने की बात थी, जो सिरे चढ़ना तो दूर, अब इसकी चर्चा भी नहीं होती। इसमें एक किलोवॉट से लेकर पांच सौ किलोवॉट तक का प्लांट स्थापित किया जाना प्रस्तावित था। मगर, इसमें घर में लिए गए बिजली कनेक्शन की क्षमता तक का ही प्लांट स्थापित किया जा सकता था।

मान लीजिये कि किसी ने बिजली निगम से घर के लिए दो किलोवॉट का कनेक्शन ले रखा है तो उसे दो किलोवॉट तक की क्षमता का ही प्लांट लगाने की अनुमति थी। हरियाणा में सरकार ने 2016 में सोलर पॉलिसी नोटिफाई की थी। नाम न छापने की शर्त पर अक्षय उर्जा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि 2019 तक चार सौ मेगावाट सौर उर्जा उत्पादन का लक्ष्य था, जिसमें से अब तक 150 मेगावाट क्षमता हासिल की जा चुकी है। इसमें से सौ मेगावॉट छतों पर सोलर प्लांट के जरिये और 50 मेगावॉट बिजली कृषि क्षेत्र में सोलर पंप के जरिये बन रही है।

अधिकारी के मुताबिक अभी तक राज्य में केवल 1800 लोगों ने इसका फायदा लिया। छतों पर लगने वाले सोलर प्लांट की लागत प्रति मेगावॉट करीब 55 हजार रुपये आती है, जिसमें से सरकार 30 फीसदी सब्सिडी देती है। वहीं, प्रदेश में अब तक करीब 12 सौ किसानों को सोलर पंप देने का दावा किया गया है। हालांकि 31 मार्च 2019 तक 2300 किसानों को सोलर पंप देने का लक्ष्य है। दावा है कि करीब 1500 सोलर पंप दिए जा चुके हैं। दो हॉर्स पावर के एक सोलर पंप की कीमत 1.83 लाख रुपये बताई गई है, जिसमें 75 फीसदी सब्सिडी देने की व्यवस्था है।

ये सब दावे हैं। हकीकत तो यह है कि सौर उर्जा का आधा लक्ष्य भी हासिल नहीं किया जा सका है। अपने घर की छत पर सोलर प्लांट के जरिये पैसा कमाने का सपना दिखाने वाली सरकार का दावा भी झूठा निकला। अक्षय उर्जा विभाग में कोई भी अधिकारी आधिकारिक तौर पर इस पर कुछ कहने को तैयार नहीं है। परियोजना अधिकारी ओपी शर्मा का कहना है कि वह इस पर कुछ भी बताने-कहने के लिए अधिकृत नहीं हैं। अधिकारियों ने कहा कि विभाग की वेबसाइट से जानकारी ले सकते हैं। पर, पोर्टल की हालत यह है कि25 नवंबर 2017 के बाद अपडेट ही नहीं हुआ है।

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