वामपंथियों के लिए 2019 के लोकसभा चुनाव को एक 'गंभीर झटका' करार देते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने मंगलवार को कहा कि पार्टी खुद को मजबूत करने के लिए स्वतंत्र पहल करेगी। उन्होंने कहा कि हम धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक ताकतों से भारत के संवैधानिक गणतंत्र की रक्षा के लिए हाथ मिलाने का आग्रह करेंगे।
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येचुरी ने कहा, "लोकसभा परिणाम सीपीएम और वामदलों के लिए न केवल बंगाल में बल्कि त्रिपुरा और केरल के पारंपरिक गढ़ों के लिए भी एक गंभीर झटका है।" उन्होंने कहा, "यह अधिकांश विपक्षी दलों को लेकर यह भी दर्शाता है कि किसी ने भी उम्मीद के मुताबिक बेहतर प्रदर्शन नहीं किया।"
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देश भर में दक्षिणपंथी ताकतों के एकजुट होने की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि यह बदलाव (दक्षिणपंथ की ओर) हाल की वैश्विक परिघटना है। संसद में वाम दलों और सीपीएम का प्रतिनिधित्व पार्टी के गठन के बाद से सबसे कम (पांच सांसदों) पर आ गया है। येचुरी ने कहा कि पार्टी नेतृत्व को 2009 के बाद हुई अपनी गिरावट के बारे में 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' करने की आवश्यकता है।
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लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की प्रचंड जीत का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी एक गहन सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने में सफल रही।
येचुरी ने कहा कि बीजेपी ने एक सांप्रदायिक राष्ट्रवादी उन्माद पैदा किया और मतदाताओं का ध्यान हटाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहुत बड़ी छवि को प्रोजेक्ट किया जिसकी वजह से लोगों का ध्यान 'मानवीय मुद्दों' से हट गया।
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