शिवसेना ने अपने सहयोगी दल बीजेपी पर एक बार फिर से निशाना साधा है। शिवसेना ने गोवा में बीजेपी द्वारा सरकार बनाने के तरीके पर सवाल उठाते हुए इसे ‘लोकतंत्र की दुर्दशा’ करार दिया है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा कि दिवंगत मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के चिते की राख ठंडी भी नहीं हुई थी कि बीजेपी ने सत्ता के लिए शर्मनाक खेल शुरू कर दिया। शिवसेना ने दावा किया कि यदि बीजेपी ने मंगलवार तक इंतजार किया होता, तो गोवा में उसकी सरकार गिर गई होती, दो उप-मुख्यमंत्रियों में से एक कांग्रेस में शामिल हो गया होता और उसे अपना मनचाहा पद मिल गया होता।
बता दें कि सोमवार देर रात 2 बजे प्रमोद सावंत ने गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। इससे पहले बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के बीच कई दौर की बैठकें हुईं। सत्ता के लिए कई समझौते हुए। अंततः समर्थन देने वाले दो छोटे सहयोगी दलों से एक-एक उपमुख्यमंत्री बनाए गए। इन दोनों ने मुख्यमंत्री प्रमोदी सावंत के साथ शपथ ग्रहण की।
शिवसेना ने ‘सामना’ में छपे लेख में कहा कि बीजेपी को चिता ठंडी होने का इंतजार करना चाहिए था। अगर सोमवार के बजाए मंगलवार को शपथ ग्रहण कराया जाता तो क्या बदल जाता? शिवसेना ने कहा कि चिता जल रही थी और ''सत्ता के लोभी'' सत्ता के लिए एक दूसरे की गर्दन पकड़ रहे थे। कम से कम चार घंटे इंतजार करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए थी। शिवसेना ने आगे कहा कि गोवा के लोग शोक में हैं। पूर्व रक्षा मंत्री के निधन के बाद एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था, लेकिन राष्ट्रध्वज को आधा झुकाने की भी फुर्सत नहीं थी।
शिवसेना ने गोवा में उपमुख्यमंत्री बनाए जाने पर भी सवाल उठाए हैं। शिवसेना का कहना है कि बीजेपी ने चार साल पहले कहा था कि उसके शासन वाले किसी राज्य में कोई उपमुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा, इसलिए महाराष्ट्र में शिवसेना को यह पद नहीं मिला। लेकिन उसके बाद बिहार, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और गोवा में उपमुख्यमंत्री बनाए गए।
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