दरअसल कहानी यहां से शुरु हुई, जब शिवराज के ट्विटर हैंडिल पर बुंदेलखंड की अयोध्या मानी जाने वाली धार्मिक नगरी ओरछा के रामराजा मंदिर में पूजा करते हुए तस्वीरें पोस्ट की गईं। इन तस्वीरों के ट्वीट होते ही बवाल मच गया और उनकी चौतरफा निंदा होने लगी।
मान्यता है कि ओरछा के राजा सिर्फ राम हैं। यहां की सत्ता उन्हीं के हवाले होती है, यही कारण है कि उन्हें रामराजा सरकार कहा जाता है और सशस्त्र सुरक्षाकर्मी उन्हें चार बार सलामी देते हैं। इतना ही नहीं, ओरछा की सरहद में कोई मंत्री, नेता या अधिकारी अपने वाहन के ऊपर लगी बत्ती को बंद करके ही प्रवेश करता है। यह परंपरा वर्षो से चली आ रही है।
इसके अलावा रामराजा मंदिर के पट यानी दरवाजे तय समय पर खुलते और बंद होते हैं। कितना भी विशिष्ट व्यक्ति आए, इसमें बदलाव नहीं होता। यहां मंदिर के भीतर की तस्वीर लेना मना है और दंड का प्रावधान है। साथ ही किसी भी विशिष्ट व्यक्ति के आने पर आम दर्शनार्थी को नहीं रोका जाता।
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लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने इन सारी परंपराओं को तोड़ दिया। उन्होंने न सिर्फ अपने दर्शन के दौरान मंदिर के द्वार बंद करवाए, बल्कि इस दौरान डेढ़ घंटे तक दूसरे दर्शनार्थियों को इंतजार भी करवाया। इतना ही नहीं, उन्होंने मंदिर में पूजा के दौरान की तस्वीरें भी उतरवाईं और उन्हें सोशल मीडिया पर प्रसारित भी किया।
लेकिन जब चौतरफा आलोचना हुई तो, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ट्विटर पेज से वे सभी तस्वीरें हटा दी गई हैं। वहीं, कांग्रेस ने कहा है कि 'जिसने रामराजा की नगरी में अपना राज दिखाने की कोशिश की, उसे सजा जरूर मिलेगी।' मुख्यमंत्री चौहान का ट्विटर अकाउंट एक सोशल मीडिया टीम द्वारा संचालित किया जाता है। चौहान बुधवार को ओरछा प्रवास पर थे और उन्होंने वहां रामराजा मंदिर में पूजा अर्चना की। इसकी तस्वीरें उनके ट्विटर अकाउंट पर सार्वजनिक हो गई। इस पर सवाल उठे और आलोचना भी हुई। शुक्रवार को पूजा वाली सभी तस्वीरें ट्विटर अकाउंट से हटा ली गईं।
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जनसंपर्क विभाग के आयुक्त पी. नरहरि ने कहा कि सोशल मीडिया टीम की गलती से वे तस्वीरें पोस्ट हो गई थीं, लिहाजा उन्हें हटा लिया गया है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरों को लेकर नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि ओरछा के महाराजा रामराजा के दरबार में उनका अपमान करने का परिणाम मुख्यमंत्री शिवराज को भुगतना होगा। भले ही उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट से मंदिर के अंदर की अपनी फोटो हटा ली, लेकिन यह स्पष्ट हो गया कि सदियों पुरानी परंपरा और मंदिर के कानून को मुख्यमंत्री ने न केवल तोड़ा है, बल्कि करोड़ों हिंदुओं की भावना को ठेस पहुंचाई।
उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है कि नियम तोड़ने पर मुख्यमंत्री के खिलाफ कानूनी कार्रवाई वैसी ही हो, जैसा कि ऐसा करने पर आम आदमी पर होती है। उन्होंने पुरानी बात बताते हुए कहा कि, “1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ओरछा में भगवान रामराजा के दर्शन करने गई थीं। भगवान को प्रसाद लग रहा था, इसलिए उनकी खातिर पट नहीं खोले गए, वे आधे घंटे इंतजार करती रहीं, उसके बाद दर्शन किए।”
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री चौहान 12 साल मुख्यमंत्री रहने के बाद अपने को सभी नियम व परंपराओं से ऊपर समझने लगे हैं। मुख्यमंत्री ने ओरछा के भगवान राम के मंदिर में इतिहास में पहली बार अपने लिए पट बंद करवाकर डेढ़ घंटे तक आम जनता को दर्शन करने से रोका। उन्होंने फोटो न लेने की परंपरा तोड़ी और अपनी फोटो ट्विटर पेज पर डाली और बाद में हटा ली।
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