उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में ईवीएम में कथित गड़बड़ियों की खबरों को लेकर शिवसेना ने बीजेपी पर निशाना साधा है। शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा है कि यूपी निकाय चुनाव में कई जगहों पर कोई भी बटन दबाने पर वोट बीजेपी को ही गया है।
शिवसेना ने सामना में लिखा, ''आमतौर पर होता तो यह है कि मतदान के बाद क्षेत्र में चाय पर चर्चाएं यह होती थी कि किस सीट पर किसका कब्जा होगा, कौन मेयर बनेगा। लेकिन कल यूपी में चर्चाओं का विषय कुछ और ही था। लोगों को मतदाताओं के रुख से ज्यादा ईवीएम के रुख का डर सता रहा था। ईवीएम इन दिनों सिर्फ अपने मिजाज से नतीजे उगलती है, मतदाताओं का तो कोई रोल ही नहीं रह गया है, इसलिए मेयर तो वही बनेगा जिसे ईवीएम ‘एवमस्तु’ कहेगी। एक दिसबंर को नतीजों का असर गुजरात चुनाव पर पड़ेगा, इसलिए डर्टी पॉलीटिक्स तो करनी पड़ेगी।”
उन्होंने सामना में लिखा, ''मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब ईवीएम स्पर्श कर मतदान कर बाहर आते है तब ऐसा दावा करते है जैसे भगवान के चरणस्पर्श आशीर्वाद लेकर लौटे हों और जनता को दावे के साथ कहते है, जितेगी तो बीजेपी ही।''
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सामना में शिव सेना ने लिखा है कि यूपी में जनता का ध्यान बांटने और ईवीएम में छेड़छाड़ के अलावा बीजेपी के पास कोई चारा नहीं बचा है। योगी सरकार की ओर से फर्जी लोकप्रियता के दावे भी ठोके जाएंगे, क्योंकि योगी सरकार का यूपी में यह पहला फ्लोर टेस्ट है। इस चुनाव में भाड़े की भीड़, भड़काऊ बयानबाजी, ऊटपटांग हरकतें, किसी की बदनामी, किसी को धमकी जैसे काम होंगे।
शिवसेना का आरोप है कि जहां इवीएम से छेड़छाड़ नहीं होती वहां कांग्रेस के हाथों बीजेपी पिट जाती है। चित्रकूट, मुरैना और सबलगढ़ इस बात का प्रमाण है कि बीजेपी को कैसे शिकस्त का मुंह देखना पड़ा? यही डर योगी सरकार को परेशान कर रहा है। बीजेपी का यूपी निकाय चुनाव जीतना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इसका असर गुजरात में होने वाली वोटिंग पर भी पड़ेगा।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जबरदस्त जीत के बाद यूपी नगर निकाय चुनाव बीजेपी के लिए नाक का सवाल बना हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ महेंद्र नाथ पाण्डेय सहित तमाम कैबिनेट मंत्री और दिग्गज नेता इस नगर निकाय चुनाव में जी जान से लगे हुए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी जमकर चुनावी रैलियां कर रहे हैं।
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