देश में आर्थिक मंदी की वजह से अर्थव्यवस्था के बिगड़े हालातों पर केंद्र की मोदी सरकार अपने ही सहयोगी दलों के बीच घिरती नजर आरही है। हाल ही में बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के बयान का समर्थन करते हुए कहा है कि अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए केंद्र सरकार को पूर्व पीएम की बात माननी चाहिए। शिवसेना ने बीजेपी के मिसमैनेजमेंट को बिगड़ी अर्थव्यवस्था की एक बड़ी वजह बताया है।
पिछले दिनों मनमोहन सिंह की आलोचना को खारिज करते हुए बीजेपी ने कहा था कि देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से नियंत्रण में है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में कहा था कि मौजूदा सरकार को अर्थव्यवस्था को लेकर पूर्व पीएम की चेतावनी पर बिना कोई राजनीति किए ध्यान देना चाहिए।
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बता दें कि पिछले सप्ताह जारी की गई तिमाही रिपोर्ट में जीडीपी की दर 5.8 फीसदी से घटकर 5 फीसदी पहुंच गयी, जो पिछले 6 सालों में अपने सबसे निचले स्तर पर है। मनमोहन सिंह ने कहा था, ‘पिछली तिमाही में विकास दर का 5 फीसदी रहना इस बात का संकेत है कि देश एक भयावह मंदी की तरफ जा रहा है। भारत कहीं अधिक तेजी से विकास करने की क्षमता रखता है, लेकिन नोटबंदी और जीएसटी जैसे मोदी सरकार के चौतरफा कुप्रबंध ने देश को मंदी के आग में झोंक दिया।’
पूर्व पीएम के इस बयान पर केंद्र सरकार ने मंगलवार को उनकी आलोचना को खारिज करते हुए उनके विश्लेषण से इत्तेफाक न रखने के बात कही थी। सरकार ने कहा था, ‘भारत इस समय दुनिया 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है इसलिए सरकार उनके (मनमोहन सिंह के) विश्लेषण से इत्तेफाक नहीं रखती।’
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शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया है, 'अर्थव्यवस्था सुस्त है। कश्मीर और आर्थिक मंदी दो अलग-अलग मुद्दे हैं। मनमोहन सिंह जैसे विद्वान व्यक्ति को आर्थिक मंदी को लेकर कोई राजनीति नहीं करनी चाहिए और अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए विशेषज्ञों की भूमिका होनी चाहिए। मनमोहन सिंह की सलाह का सुनना राष्ट्रीय हित का मसला है यानी इसमें राष्ट्रहित निहित है'।
इसके अलावा शिवसेना ने कहा कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह 35 सालों तक देश की अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र से जुड़े रहे हैं इसलिए उनके पास अर्थव्यवस्था के बारे में बोलने का "अधिकार" है।
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