देश के मौजूदा सरकार बेटियों के बेहतर भविष्य और ‘बेटी बचाओ’ के नारे तो बहुत लगाती है, लेकिन जमीन पर सच्चाई कुछ और ही है। ऐसा ही एक मामला शामली का है, जहां बेटियों ने स्कूल जाते समय होने वाली छेड़छाड़ से तंग आकर सर उठाकर चलना छोड़ दिया है।
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शामली वही जगह है जहां बीजेपी सांसद हुकुम सिंह ने सबसे पहले ‘बेटी बचाओ’ नारा ईजाद किया था, जिसके आधार पर मुजफ्फरनगर के सिखेड़ा में महापंचायत हुई और मुजफ्फरनगर को कलंकित करने वाला दंगा हुआ। सबसे ज्यादा हिंसा शामली जिले में हुई।
आसपास के गांवों से शामली में पढ़ने आने वाली लड़कियां छेड़छाड़ से इतनी तंग आ चुकी हैं कि वे ट्रैक्टर में बैठ कानों में ऊंगली डालकर और सर झुकाकर स्कूल आती हैं। शामली वही जगह है जहां बीजेपी सांसद हुकुम सिंह ने सबसे पहले ‘बेटी बचाओ’ नारा ईजाद किया था, जिसके आधार पर मुजफ्फरनगर के सिखेड़ा में महापंचायत हुई और मुजफ्फरनगर को कलंकित करने वाला दंगा हुआ। सबसे ज्यादा हिंसा शामली जिले में हुई। इज्जत के लिए लड़ने वाले कथित रक्षक यहां बेटियों की सरेआम बेइज्जती पर चुप हैं।
जब इस समस्या को लेकर एक स्थानीय अखबार में खबर छपी तो उस अखबार पर सैकड़ों लोगों ने हमला कर दिया और पत्रकारों की पिटाई की। यह मामला गोहरनी गांव का है। शामली से इस गांव की दूरी 7 किमी है। यहां की दर्जनों लडकियां शामली में हिन्दू कन्या इंटर कॉलेज में पढ़ती हैं। इन लड़कियों के स्कूल आने-जाने की कोई व्यवस्था नहीं है। पहले इन लड़कियों को स्कूल आने में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता था, इसलिए कम लड़कियां पढ़ पा रही थीं। कुछ साल पहले सेना से रिटायर सतपाल सिंह नाम के व्यक्ति ने इसका एक समाधान खोजा और अपने ट्रैक्टर पर बेंच लगवाकर इन्हें शामली स्कूल लेकर आने लगे। इसके लिए प्रत्येक छात्रा से 300 रुपये प्रतिमाह लिए जाते हैं। इसके बाद स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों की संख्या बढ़ गयी।
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लड़कियों के इस स्कूल के आसपास लड़कों के भी कई स्कूल हैं। इनमें भी लड़के आसपास के गांवों से ही आते हैं। लड़कियां इकट्ठा होकर ट्रैक्टर से आती-जाती हैं। लड़के इन लड़कियों पर फब्तियां कसते हैं और अश्लील इशारे करते हैं। जब इसकी शिकायत बढ़ने लगी तो कुछ लोगों ने अपनी बेटियों का स्कूल जाना बंद करा दिया, पर कुछ ने एक दूसरा रास्ता खोज लिया। लड़कियों को कहा गया कि वे पूरे रास्ते सर नहीं उठाएंगी।
लड़कियों के इस स्कूल के आसपास लड़कों के भी कई स्कूल हैं। इनमें भी लड़के आसपास के गांवों से ही आते हैं। लड़कियां इकट्ठा होकर ट्रैक्टर से आती-जाती हैं। लड़के इन लड़कियों पर फब्तियां कसते हैं और अश्लील इशारे करते हैं। जब इसकी शिकायत बढ़ने लगी तो कुछ लोगों ने अपनी बेटियों का स्कूल जाना बंद करा दिया, पर कुछ ने एक दूसरा रास्ता खोज लिया। लड़कियों को कहा गया कि वे पूरे रास्ते सर नहीं उठाएंगी, किसी लड़के से बात नही करेंगी और उन्हें कोई प्रतिक्रिया नही देंगी। अगर कोई बात हुई तो उसकी शिकायत घर आकर करेंगी।
किसी लड़की ने छेड़छाड़ की शिकायत घर आकर की तो उसे स्कूल भेजने से रोक दिया गया। इसके बाद पढ़ने की इच्छा रखने वाली लड़कियों ने घर शिकायत करना छोड़ दिया। 26 नवंबर को एक बड़े अखबार में सर झुकाकर स्कूल जाती इन लड़कियों का फोटो छप गया। इसके बाद कथित तौर पर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने इस पर नाराजगी जताई। स्थानीय प्रशासन में इसे लेकर हड़कंप मच गया। शामली के डीएम इंद्रपाल सिंह ने पहले इसे मामूली घटना बताया, लेकिन बाद में इन लड़कियों के लिए ई-रिक्शा की व्यवस्था की गई। साथ ही बस लगाने का भी भरोसा दिया गया।
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गांव में पंचायत हुई और अखबार के शामली स्थित दफ्तर पर सैकड़ों लोगों ने पेट्रोल बम और लाठी-डंडे से लैस होकर हमला कर दिया। एक नामजद और 40 अज्ञात लोगों के खिलाफ शामली कोतवाली में शिकायत दर्ज कर ली गई है। गांव में लड़कियों की पढ़ाई को लेकर लगातार पंचायत हो रही है। लड़कियों को हिदायत दी गयी है कि वे मीडिया के किसी आदमी से बातचीत नहीं करेंगी। गांव में मीडिया के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।
इसके बाद गांव में पंचायत हुई और अखबार के शामली स्थित दफ्तर पर सैकड़ों लोगों ने पेट्रोल बम और लाठी-डंडे से लैस होकर हमला कर दिया। एक नामजद और 40 अज्ञात लोगों के खिलाफ शामली कोतवाली में शिकायत दर्ज कर ली गई है। गांव में लड़कियों की पढ़ाई को लेकर लगातार पंचायत हो रही है। लड़कियों को हिदायत दी गयी है कि वे मीडिया के किसी आदमी से बातचीत नहीं करेंगी। गांव में मीडिया के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।
शामली के बेहद चर्चित इस प्रकरण में अलग-अलग तरह के विचार सामने आये हैं। ‘नई पहल’ नाम की यहां की एक सक्रिय संस्था चलाने वाले शाहनवाज़ अली बताते हैं, “छेड़छाड़ करने वाले गंदी राजनीति करने वालों के निशाने पर रहने वाले समुदाय से नहीं है, वरना एक और मुजफ्फरनगर हो जाता।” हाल ही में कैराना के सांसद ने एक बार फिर मुसलमानों पर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए उन्हें बलात्कारी बताया था। इसके पहले वे पलायन को भी साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश में कामयाब हुए थे। वे भी इस पर चुप हैं।
स्थानीय दबंग इस समस्या का समाधान करने की बजाय इस शर्मनाक घटनाक्रम को उजागर करने वाले पत्रकारों पर हमले करा रहे हैं। इस मामले को लेकर डर इतना ज्यादा है कि कोई सामाजिक महिला कार्यकर्ता इस पर अपनी जबान नहीं खोलती हैं। समाजवादी पार्टी नेता नफीस कहते है, “छेड़छाड़ करने वाले उनके अपने हैं, इसलिए सब चुप है। दूसरे समाज के होते तो अब तक तो खून की नदियां बह जातीं।” गांव के वीरेन्द्र निर्वाल कहते हैं, “सर झुकाकर स्कूल जाना हमारी संस्कृति है और इसका छेड़छाड़ से कोई ताल्लुक नहीं है। लड़कियां खुद ही नजर नीची रखती हैं।” लेकिन इसी गांव के ट्रैक्टर ड्राइवर सतपाल कहते हैं कि लड़के लगातार छेड़छाड़ करते हैं और किसी से नही डरते। सतपाल ही इन लड़कियों को स्कूल लेकर आते हैं। फिलहाल यह मामला चर्चा में आ गया है।
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