सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस केएम जोसेफ की नियुक्ति को लेकर चल रहे विवाद पर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने 2 मई को कॉलेजियम की बैठक बुलाई है। चीफ जस्टिस के इस फैसले से ऐसा लगता है कि न्यायाधीशों के बीच चल रहे घमासान पर आने वाले वक्त में थोड़ा विराम लगेगा। इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के भीतर भी गहरा अंतरविरोध पैदा हुआ है। वकील दो खेमों में बंट गए हैं, और दोनों खेमों के बीच खूब पत्र लिखे-पढ़े और बांटे जा रहे हैं। वकीलों में यह प्रक्रिया पिछले 3-4 महीनों से तेजी देखने को मिली है। वकीलों द्वारा लिखे गए ऐसे कई पत्र नवजीवन, नेशनल हेराल्ड और कौमी आवाज को मिले हैं।
इस विभेद के लिए भी वरिष्ठ वकील मुख्य न्यायाधीश और सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट बार ऐसोसिएशन की 21 सदस्यों वाली एग्जीक्यूटिव काउंसिल के 13 सदस्यों ने हस्ताक्षरों के साथ तमाम सदस्यों (वकीलों) के नाम पत्र लिखा, जिसमें यह लिखा गया है कि बलात्कार के मामले के साथ-साथ जस्टिस चेलमेश्वर और बाकी जजों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर भी एसोसिएशन को अपना पक्ष रखना चाहिए था। इन 13 वरिष्ठ वकीलों ने यह पत्र 17 अप्रैल, 2018 को जारी किया था।
खबरों के मुताबिक, 1 मई को जनरल बॉडी की मीटिंग बुलाने की घोषणा हो सकती है। इस बीच 100 वकीलों के हस्ताक्षर वाला पत्र भी जारी हुआ, जिसमें जस्जिस केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में लेने के कोलेजियम के फैसले को सरकार द्वारा रोके जाने पर नाराजगी जताई गई थी।
इन तमाम सवालों पर तीखे स्वर उठ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव अशोक अरोड़ा ने नवजीवन को बताया कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार का राजनीतिक दखल बढ़ता ही जा रहा है। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि परिवार का मुखिया ही साख नहीं बचा रहा है। उन्होंने कहा कि तमाम न्यायाधीश फुल कोर्ट की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई सुन ही नहीं रहा है। अरोड़ा ने कहा कि जस्टिस लोया केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जजों-वकीलों और लोगों में न्याय की आस को लेकर धक्का लगा है। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए खतरा है।
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केएम जोसेफ उत्तराखंड के चीफ जस्टिस हैं। कुछ दिन पहले ही मोदी सरकार ने इंदू मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाए जाने को लेकर कॉलेजियम की सिफारिश को मंजूरी दे दी थी, लेकिन जस्टिस केएम जोसेफ की पदोन्नति रोके रखने का फैसला लिया था। इसे लेकर विपक्ष ने भी मोदी सरकार पर सवाल खड़े किए थे।
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