मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने अडानी समूह के खिलाफ उठाए गए विभिन्न मामलों की जांच जेपीसी से कराने की मांग को फिर से दोहराई है। पार्टी नेता जयराम रमेश ने चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर जांच में पक्षपात करने के भी आरोप लगाए हैं। रमेश ने मंगलवार को एक्स पर लिखा, "सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच द्वारा संभावित कदाचार के बारे में और भी सवाल उठ रहे हैं।"
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कांग्रेस नेता ने कहा, "सेबी चेयरपर्सन के रूप में उनकी नियुक्ति से पहले उनके द्वारा स्थापित एक कंसल्टिंग कंपनी की विनियामक फाइलिंग से पता चलता है कि यह कंपनी और उसके वैधानिक ऑडिटर एक ही पते पर पंजीकृत हैं। हालांकि उन्होंने इस कंसल्टिंग कंपनी के निदेशक के रूप में पद छोड़ दिया है, लेकिन सेबी चेयरपर्सन के पति 2019 से उस फर्म के निदेशक हैं।"
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उन्होंने कहा कि, "एक कंपनी और उसके ऑडिटर का एक ही पता साझा करना आम तौर पर खराब कॉर्पोरेट प्रशासन का संकेत है। आईसीएआई की आचार संहिता के अनुसार वैधानिक लेखाकारों को पक्षपात, हितों के टकराव या अनुचित प्रभाव से बचना चाहिए। एक ही स्थान साझा करना इस तरह के पक्षपात का संकेत देता है।"
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रमेश ने आगे कहा, "सेबी चेयरपर्सन और उनके पति ने यह दावा करके भी जनता को गुमराह किया कि कंसल्टिंग कंपनी "सेबी में उनकी नियुक्ति के तुरंत बाद निष्क्रिय हो गई", यह सच नहीं है। 2019 से 2024 के बीच कंपनी ने 3.63 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया, जिसमें से अधिकांश 2019 से 2022 के बीच अर्जित हुआ, जब बुच सेबी की पूर्णकालिक सदस्य थीं। मार्च 2022 में सेबी प्रमुख के रूप में उनकी नियुक्ति के बाद, कंपनी ने लगभग 41.75 लाख रुपये कमाए।"
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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए अडानी घोटाले और सेबी की कार्यशैली की अखंडता की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की आवश्यकता और बढ़ गई है।
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