जज बी एच लोया की रहस्यमय मौत की जांच किए जाने की मांग करने वाली याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की संभावना नहीं है। कारण है कि इस याचिका की सुनवाई करने वाली दो सदस्यीय बेंच के एक जज उपलब्ध नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के मुताबिक, जिन दो जजों जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एम एन शांतागोदर ने इस मामले की शुक्रवार को सुनवाई की थी। इनमें से जस्टिस अरुण मिश्रा सोमवार को कोर्ट में नहीं होंगे, इसलिए उनकी बेंच से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई 16 जनवरी के लिए टाल दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा संकट में जज लोया के मामले को विवाद की जड़ माना जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में भी इसका जिक्र किया था और कहा था कि चीफ जस्टिस अपने तौर पर खास मामलों को चुनिंदा बेंच में सुनवाई के लिए दे रहे हैं।
जज लोया की पहली दिसंबर 2014 को रहस्यमय हालात में दिल का दौरा पड़ने से नागपुर में मृत्यु हो गई थी। जज लोया वहां एक साथी की बेटी की शादी में शामिल होने गए थे। उस समय जज लोया सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे थे। इस मामले में कई पुलिस अफसरों के साथ ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का नाम भी शामिल था।
मुंबई एक पत्रकार बी आर लोन और सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला ने जज लोया की मौत की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
कहा जाता है कि शुक्रवार को 4 सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने चीफ जस्टिस से मिलकर मामलों की सुनवाई वरीयता क्रम में 10वें नंबर की बेंच के बजाए दूसरी बेंच में करने का अनुरोध किया था। जब चीफ जस्टिस ने उनकी यह बात नहीं मानी तो, इसके बाद चारों जजों ने शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेंस की थी और गंभीर मुद्दे उठाए थे।
चारों जजों ने लोकतंत्र पर खतरे की बात कहते हुए माना था कि जिन मामलों की सुनवाई वरीयता क्रम की ऊपरी बेंच में कराने की बात थी, उनमें जज लोया की मौत से जुड़ी याचिका का मामला भी था।
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जब जजों से पूछा गया था कि जिन मामलों की बेंच बदलने की आपने मांग की थी, क्या उनमें जज लोया का मामला भी था, तो जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि हां, यह मामाल भी था।
शुक्रवार को जज लोया के मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा की बेंच ने महाराष्ट्र के वकील से कहा था वे निर्देश लेकर आएं, लेकिन इस बारे में कोई औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई इस जानकारी के बावजूद की थी कि बॉम्बे हाईकोर्ट में इसकी सुनवाई चल रही है।
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