देश

सुप्रीम कोर्ट की दो महिला जजों की पीठ का ऐतिहासिक फैसला: सेक्स वर्कर को भी जबरन सेक्स से न कहने काअधिकार है !

अगर कोई पेशेवर वेश्या है और अपना शरीर बेचकर जीवन यापन करती है तो किसी को उसके साथ उसकी मर्जी के बिना जबरन सेक्स करने का लाइसेंस नहीं मिल सकता। सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे बेहद संवेदनशील मामले में पीड़ित महिला की शिकायत पर हाईकोर्ट से बरी हुए चार लोगों को गैंगरेप केआरोप में 10 बरस जेल की सजा दी है।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

मामला 20 बरस पुराना, वर्ष 1997 का है। एक महिला के साथ चार लोगों ने राजधानी दिल्ली में गैंगरेप किया था। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस श्रीमती आर भानुमति व इंदिरा बनर्जी की साझा पीठ ने चारों अभियुक्तों को चार सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण कर 10 साल की सजा पूरी करने के निर्देश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले में बेहद संजीदगी बरतते हुए मुजिरमों की इस दलील को ठुकरा दिया कि उन्हें इसलिए बरी कर दिया जाए कि जिस पीड़ित महिला ने उन पर बलात्कार का आरोप लगाया था, वह बुरे चरित्र की है तथा वेश्यावृति में लिप्त है।

सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि कोई इस बात का सबूत भी पेश करे कि पीड़ित पक्ष पेशेवर वेश्या है व सेक्सकर्मी है, इससे यह अर्थ तो कतई नहीं निकाला जा सकता कि कोई महिला बुरे चरित्र की है, अपने जीवन की निहायत निजी परिस्थितियों के कारण वह अकेली रहती है। तो इसका यह आशय नहीं हो जाता कि जो व्यक्ति जब चाहे उसे अपनी काम पिपासा का शिकार बनाने को स्वतंत्र है।

Published: undefined

पीठ ने ट्रायल कोर्ट की सजा को बरकरार रखते हुए निचली अदालत के इस तर्क को सही ठहराया कि अगर यह मान भी लिया जाए कि महिला का चरित्र खराब था तो इससे अभियुक्तों को उसके साथ बलात्कार करने का अधिकार कैसे मिल सकता है? हाई कोर्ट ने जब चारों आरोपियों को बेकसूर मानते हुए 2009 में बरी किया था, तो उन तीन पुलिस कर्मियों को भी सजा देने का आदेश दिया था, जिन्होंने गैंग रेप में चारों लोगों के खिलाफ कथित मुकदमा दर्ज कर महिला की तहरीर पर केस बनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंडसंहिता की धारा 193 व 195 के तहत हाईकोर्ट के उस आदेश को भी निरस्त कर पुलिस वालों को भी बड़ी राहत दे दी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह न्याय का प्राकृतिक सिद्धांत है कि पहले पीड़ित पक्ष के भरोसे को अंगीकार किया जाना चाहिए, जिसने अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ गवाही दी व मुकदमा दर्ज करने का साहस किया।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined