सरकारी कर्माचारियों को प्रमोशन में आरक्षण के मामले में मंगलवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अहम निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक मौखिक आदेश में केंद्र सरकार से कहा है कि जब तक संविधान पीठ इस मामले पर अंतिम फैसला नहीं ले लेती है, तब तक सरकार प्रमोशन में आरक्षण को लागू कर सकती है। कोर्ट ने साथ में यह भी कहा कि सरकार कानून के मुताबिक एससी-एसटी कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण दे सकती है
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) मनिंदर सिंह ने कहा कि कमर्चारियों को प्रमोशन देना सरकार की जिम्मेदारी है। सिंह ने कहा कि देश के अलग-अलग हाईकोर्ट के फैसलों के चलते यह प्रमोशन रुके हुए हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि सरकार अंतिम फैसला आने तक कानून के मुताबिक एससी-एसटी कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण दे सकती है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले से जुड़े सभी मुकदमों को एक साथ कर दिया है, जिनकी सुनवाई अब संविधान पीठ करेगी।
सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण को लेकर देश के अलग-अलग हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के आदेशों के कारण कई विभागों में सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन रुके हुए थे। इसको लेकर एससी-एसटी वर्ग के कर्मचारी परेशान थे और लंबे समय से सरकार से इसकी मांग कर रहे थे। इस मुद्दे पर राजनीति भी लंबे समय से होती रही है। कई बड़े नेता प्रमोशन में आरक्षण लागू किए जाने की वकालत कर चुके हैं।
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पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट द्वारा एसी-एसटी एक्ट में बदलाव के बाद घिरी मोदी सरकार के लिये सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला एक बड़ी राहत की तरह है। गौरतलब है कि एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बदलाव के बाद मोदी सरकार चौतरफा घिरी हुई थी। इसे लेकर देश भर में दलितों का आक्रोश सामने आया था। रविवार को ही केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और उनके सांसद पुत्र चिराग पासवान ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में एस-एसटी वर्ग के कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर भी चर्चा हुई थी।
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