देश में आए दिन जाति के आधार पर राजनीति करने वाली पार्टियों और नेताओं की आलोचना की जाती है। लेकिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत जातिवादी राजनीति को सही ठहराते हुए पाए गए। उन्होंने कहा कि जब समाज जाति के आधार पर वोट करता है तो ऐसे में नेताओं के पास जातिवादी राजनीति करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।
25 जनवरी को मुंबई में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत ने कहा, “राजनेताओं को जाति की राजनीति का सहारा लेने के लिए मजबूर किया जाता है क्योंकि जाति के आधार पर भारत में वोट डाले जाते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “समाज में जितनी नैतिक आचरण की आदत है, उतनी राजनीति में दिखाई देती है। उदाहरण के लिए जात-पात की राजनीति मुझे नहीं करना, ऐसा मैं सोचकर भी जाता हूं लेकिन समाज तो जात-पात पर वोट देता है, तो मुझे करना ही पड़ता है।”
वैसे तो बीजेपी के नेता यह दावा करते हुए थकते नहीं हैं कि उनकी राजनीति जाति से परे है। लेकिन व्यवहार में वे अक्सर इस राजनीति का इस्तेमाल करते हैं। अब उनके ही सहयोगी संगठन के प्रमुख ने इस सच्चाई से पर्दा हटा दिया है, और यह साबित करने की कोशिश की है कि भारत में कोई भी नेता जाति आधारित राजनीति से बचा हुआ नहीं है। अब सवाल उठता है कि बीजेपी इसकी प्रतिक्रिया में क्या करती है, वह इसे स्वीकार करती है या इंकार?
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