बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बुधवार को अयोध्या जाकर अपनी पगड़ी उतार दी। अब इसे लेकर आरजेडी ने जोरदार कटाक्ष किया है।
आरजेडी ने कहा कि आजीवन 'प्राण जाए पर वचन न जाए' के सिद्धांत पर चलने वाले, पिता को दिए वचन के लिए राजपाट छोड़कर वनवास स्वीकारने वाले रामजी के जन्मस्थान अयोध्या में जाकर सम्राट चौधरी ने अपने समर्थकों की भीड़ लगाकर अपनी पगड़ी खोल दी। मतलब, बड़े घमंड से खाई हुई अपनी ही कसम तोड़ दी।
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आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो. सुबोध कुमार मेहता ने कहा कि सम्राट चौधरी ने अपने तथाकथित वचन, अपनी जुबान की तिलांजलि दे दी है और वह भी मजमा लगाकर, भीड़ जुटाकर, मीडिया बुलाकर।
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उन्होंने कहा कि अगर सम्राट चौधरी को सत्ता और राजपाट के लोभ में अपना वचन तोड़ना ही था, तो वचन के पक्के मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्मस्थली की परंपरा तोड़ने से अच्छा होता, वह ज्ञान प्राप्ति के स्थल बोध गया चले जाते और अशोक के धम्म एवं भगवान बुद्ध के 'बहुजन हिताय बहुजन सुखाय' के सिद्धांत से प्रेरणा लेते। अयोध्या जाकर अयोध्या की परंपरा और श्रीराम के जन्म स्थान को अपने अवसरवाद की राजनीति से दूषित करने क्यों चले गए? बोधगया जाइए तो कुछ ज्ञान की भी प्राप्ति हो जाएगी और अहंकार और घमंड भी कम होगा।
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उल्लेखनीय है कि सम्राट चौधरी ने बुधवार को अयोध्या में 21 महीने के बाद अपनी पगड़ी उतारी। करीब 21 महीने पहले प्रदेश में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष रहते हुए सम्राट चौधरी ने संकल्प लिया था कि वे नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाने के बाद ही अपने सिर से पगड़ी हटाएंगे। सितंबर 2022 में अपनी मां के निधन के बाद सम्राट चौधरी ने सिर पर पगड़ी बांधी थी।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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