अब से चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में पिछड़ी जातियों (ओबीसी) को 27 फीसदी और आर्थिक रूप से कमजोर कैंडिडेट्स को 10% आरक्षण दिया जाएगा। यह फैसला 2021-22 के सेशन से लागू होगा। केंद्र सरकार ने गुरुवार को इसका ऐलान किया। इसका फायदा ऑल इंडिया कोटा स्कीम (AIQ) के तहत किसी भी राज्य सरकार द्वारा संचालित संस्थान से लिया जा सकेगा। केंद्र के संस्थानों में यह पहले से लागू है।
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इससे हर साल ऑल इंडिया कोटा स्कीम (AIQ) के तहत MBBS, MS, BDS, MDS, डेंटल, मेडिकल और डिप्लोमा में 5,550 कैंडिडेट्स को इसका फायदा मिलेगा। इसकी जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया के माध्यम से दी है।
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बता दें कि चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में ओबीसी वर्ग को आरक्षण देने की मांग हो रही थी। लेकिन, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 12 जुलाई को नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट NEET- 2021 की तारीख का ऐलान करते हुए कहा था कि इस बार भी यह परीक्षा ओबीसी वर्ग को बिना आरक्षण दिए ही होगी। उनके इस बयान के बाद से ही गई छात्र संगठन देश व्यापी हड़ताल की धमकी दे रहे थे। राजनीतिक दलों ने भी आरक्षण की मांग की थी।
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गौरतलब है कि इससे पहले मेडिकल कोर्सेस में एडमिशन के लिए ऑल इंडिया कोटे में केवल एससी-एसटी को ही आरक्षण दिया जा रहा था। ओबीसी और ईडब्लूएस (आर्थिक रूप कमजोर वर्ग) के लिए आरक्षण की मांग को लेकर एनडीए के ओबीसी सांसदों ने पीएम मोदी से मुलाकात की थी। उन्होंने भी अखिल भारतीय चिकित्सा शिक्षा कोटे में ओबीसी और आर्थिक रूप से पिछड़े (ईडब्ल्यूएस) वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षण लागू करने की मांग की थी।
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