बिहार में तापमान बढ़ने के साथ ही लोकसभा चुनाव को लेकर भी सरगर्मी बढ़ने लगी है। इस चुनाव में बढ़त पाने को लेकर सभी राजनीतिक दल एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। इस चुनाव को लेकर छोटे दलों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है।
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दरअसल, इस चुनाव में छोटे दलों को बड़े दलों ने पहले से कम तरजीह दी है और जितनी सीटें मिली भी उसमें अब उन्हें अपनी प्रतिष्ठा को बचाए रखने की चुनौती है। इस चुनाव में एनडीए में शामिल उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) को एक-एक सीट मिली है। पिछले चुनाव में ये दोनों दल महागठबंधन के साथ थे, तब, कुशवाहा की पार्टी रालोसपा को पांच सीटें मिली थी। जबकि, हम को तीन सीटें मिली थी। विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) अभी तक गठबंधन के इंतजार में है। जबकि, पिछले चुनाव में इसे तीन सीटें मिली थी।
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वामपंथी दलों की बात करें तो पिछले चुनाव में सीपीआई (माले) चार, सीपीआई दो और सीपीएम एक सीट पर चुनाव लड़ी थी। इस चुनाव में महागठबंधन में शामिल सीपीआई (माले) को तीन तथा सीपीआई और सीपीएम को एक-एक सीट मिली है।
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वैसे, वीआईपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी चुनाव मैदान में जरूर उतरेगी। कहा जा रहा है कि पार्टी का अगर किसी दल के साथ समझौता नहीं होता है तो पार्टी 35 से अधिक सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। ऐसी स्थिति में छोटे दलों के लिए यह चुनाव खुद को साबित करने वाला चुनाव माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि छोटे दल इस चुनाव में असफल होते हैं तो आने वाले समय में इनकी पूछ और कम हो जाएगी।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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