सौर ऊर्जा को को लेकर केंद्र की मोदी सरकार के नक्शे कदम पर चलते हुए योगी सरकार ने भी आसमानी लक्ष्य तय कर लिया, लेकिन यह हासिल कैसे होगा, इसके प्रति कोई संजीदगी नहीं दिखती। तमाम शैक्षणिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों ने सोलर प्लांट लगा तो लिए, लेकिन इससे कमाई नहीं हो पा रही है। क्योंकि उत्तर प्रदेश पावर कारर्पोरेशन से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है। वहीं किसानों को सोलर पंप, बुनकरों को सोलर चरखा देने जैसी योजनाएं भी सफल होती नहीं दिख रही हैं।
दिसंबर 2017 में बनी प्रदेश की सौर ऊर्जा नीति के तहत 2022 तक लगभग 10,700 मेगावॉट क्षमता विकसित करने का लक्ष्य है। इसमें 6400 मेगावाट क्षमता के यूटीलिटी स्केल ग्रिड संयोजित सौर ऊर्जा परियोजनाएं लगाई जानी हैं। सौर ऊर्जा नीति के पहले चरण में 1000 मेगावॉट क्षमता की सौर ऊर्जा खरीद के लिए नोडल एजेंसी यूपीनेडा ने जनवरी 2018 में कंपनियों को आमंत्रित किया था। बिडिंग में भाग लेने वाली 40 से अधिक कंपनियों ने करीब 5000 करोड़ का प्रस्ताव दिया था। प्रस्ताव 10 फीसदी भी हकीकत में नहीं दिख रहा।
यूपी इन्वेस्टर्स समिट में मुंबई की अवाडा कंपनी ने गोरखपुर के सहजनवा में 1550 मेगावॉट सोलर प्लांट से बिजली उत्पादन को लेकर 8450 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव दिया था। कंपनी ने 6200 लोगों को रोजगार के दावे के साथ 250 एकड़ जमीन को लेकर किसानों से एग्रीमेंट भी कर लिया। कंपनी द्वारा औद्योगिक नीति के तहत स्टांप ड्यूटी में छूट का शासन को भेजा गया प्रस्ताव अभी लटका हुआ है। वहीं प्रदेश सरकार की 10 हजार सूर्यमित्र की नियुक्ति भी कागजों से बाहर नहीं निकली।
प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने मार्च 2018 में मिर्जापुर में प्रदेश के सबसे बड़े सोलर पॉवर प्लांट का लोकार्पण किया था। 100 मेगावॉट क्षमता वाले प्लांट में 75 मेगावॉट का उत्पादन शुरू हुआ है। 380 एकड़ में फैले इस ऊर्जा संयंत्र के निर्माण पर 650 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। ऊर्जा संयंत्र से प्रतिदिन 1.5 लाख घरों को बिजली की आपूर्ति का दावा है।
पिछले 5 नवंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 6 करोड़ की लागत से तैयार गोरखपुर के सबसे बड़े प्लांट का लोकार्पण किया था। लोकार्पण के बाद भी बिजली निगम अभी तक नेट मीटरिंग नहीं कर सका है। ऐसे में सरप्लस बिजली ग्रिड को नहीं भेजी जा रही है।वीएन डायर्स के मालिक और चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष विष्णु प्रसाद अजीत सरिया के मुताबिक, कई बार कोशिश करने के बाद मुख्य अभियंता से जल्द ही नेटमीटरिंग लगाने का आश्वासन मिला है।
रूफटॉप सोलर पावर प्लांट्स को लेकर प्रदेश सरकार भले सब्सिडी दे लेकिन अभी वह आम लोगों तक नहीं पहुंच सकी है। प्रत्येक किलोवॉट पर 15 से 30 हजार रुपये की सब्सिडी के लिए ऑनलाइन आवेदन हो रहा है। गोरखपुर में बिजली निगम के नोडल अधिकारी अजय श्रीवास्तव के पास नो-ऑब्जेक्शन से जुड़ा कोई आंकड़ा नहीं है। दिसंबर 2015 में प्रयागराज नगर निगम में नजूल भूमि पर 240 किलोवॉट का प्लांट लगाने का करार हुआ। दोनों पैनल पर करीब 2.60 करोड़ रुपये खर्च प्रस्तावित था। एजेंसी ने 120 किलोवॉट क्षमता का एक सोलर पैनल लगाने के बाद ही 70 लाख का रनिंग पेमेंट करा लिया।
इस मामले में फिलहाल जांच हो रही है। इतना ही नहीं, सरकार ने सौर उर्जा को सौभाग्य योजना से भी जोड़ा है। गोरखपुर के बड़हलगंज-बेलघाट में 160 घरों तक बिजली खंभा और तार पहुंचने में दिक्कतों को देखते हुए सोलर पैनल लगाने का निर्णय हुआ। सोलर प्लांट को लेकर ऊर्जा निगम ने 6 महीने पहले ही नेडा को 64 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिया था, अभी तक लोगों के घरों में बिजली नहीं पहुंची है।
सोलर प्लांट लगने से कई यूनिवर्सिटी में बिजली के बिल में तो कमी आई है, लेकिन सरप्लस बिजली से कमाई नहीं हो रही। गोरखपुर यूनिवर्सिटी में 320 किलोवॉट क्षमता के 3100 सोलर पैनल लगाए गए हैं। सोलर पंप लगने से विश्वविद्यालय प्रशासन को प्रति महीने 10 से 12 लाख की बचत हो रही है। लेकिन जब यूनिवर्सिटी बंद रहती है तो सरप्लस बिजली ग्रिड को नहीं भेजी जा रही है। वहीं इलाहाबाद विश्वविद्यालय में सौर ऊर्जा से प्रतिदिन 6000 यूनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है। बिजली बिल में प्रति महीने करीब 20 लाख की बचत हो रही है लेकिन अतिरिक्त बिजली से कमाई नहीं हो रही।
गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में 550 किलोवाट का प्लांट लगा है। जिसमें से 100 किलोवाट के प्लांट से उत्पादन शुरू है। कुलपति प्रो एनएन सिंह का कहना है कि इसी महीने प्लांट पूरी क्षमता से काम करने लगेगा। ऐसा होगा तो बिजली सरप्लस होगी।
सोलर पैनल से जुड़ी एक निजी कंपनी में मैनेजर आशीष दास का कहना है कि पावर कॉरपोरेशन को भय है कि सोलर ऊर्जा के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ा तो उसकी कमाई पर असर पड़ेगा। ऐसे में वह कमर्शियल संस्थानों में ‘बाई डायरेक्शनल मीटर’ लगाने से बच रहा है। श्रीदास का कहना है कि सोलर पैनल में अभी भी चीन का प्रभुत्व है।
प्रदेश सरकार ने 50 से 70 फीसदी सब्सिडी पर खेतों में सिंचाई को लेकर सोलर पंप देने का ऐलान किया था। सरकार के 10 हजार सोलर पंप के लक्ष्य के सापेक्ष अभी तक प्रदेश के हजारों किसानों को पंप नहीं मिल सका है। कृषि विभाग में डिप्टी डायरेक्टर संजय सिंह के मुताबिक, जो किसान पहले अंशदान का बैंक ड्राफ्ट जमा कर रहे हैं, उन्हें पहले लाभ दिया जा रहा है।
(नवजीवन के लिए उत्तर प्रदेश से पूर्णिमा श्रीवास्तव की रिपोर्ट)
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