भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल मंगलवार को संसद की स्थायी समिति के सामने पेश हुए। मिली जानकारी के अनुसार नोटबंदी और बैंकों के नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट (एनपीए) के साथ-साथ अन्य कई मुद्दों पर जवाब देने के लिए समिति के सामने पेश हुए आरबीआई गवर्नर ने माना कि नोटबंदी के फैसले का देश की अर्थव्यवस्था पर क्षणिक असर पड़ा है। बताया जा रहा है कि समित को पटेल ने बताया कि वैश्विक स्तर पर सस्ता कच्चा तेल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है। पटेल के अनुसार सस्ती कीमतों पर कच्चा तेल मिलने से भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा। आरबीआई गवर्नर को पहले 12 नवंबर को समिति के सामने पेश होना था, लेकिन वह नहीं आ सके थे।
सूत्रों के मुताबिक इस मुलाकात में संसद की 31 सदस्यीय स्टैंडिंग कमेटी ऑन फाइनेंस के कई सदस्यों ने नोटबंदी के साथ हाल में केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक के बीच उपजे विवाद पर भी पटेल से सवाल पूछे। इस दौरान आरबीआई की स्वायत्तता, केन्द्र सरकार द्वारा आरबीआई एक्ट की दारा 7 के इस्तेमाल और आरबीआई की रिजर्व पूंजी पर भी सवाल उठाया गया। अब पटेल 10 दिनों के अंदर इन सभी सवालों के जवाब लिखित में संसदीय समिति को सौपेंगे। बता दें कि इशसे पहले भी संसदीय समिति आरबीआई गवर्नर को तलब कर चुकी है। बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह संसद की इस 31 सदस्यीय स्टैंडिंग कमेटी ऑन फाइनेंस के सदस्य हैं, जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता एम वीरप्पा मोइली इसके अध्यक्ष हैं।
Published: 27 Nov 2018, 7:34 PM IST
सूत्रों के अनुसार स्थायी समिति के एजेंडे में नवंबर 2016 में लागू नोटबंदी, आरबीआई में सुधार, बैंकों का बढ़ता एनपीए और गिरती अर्थव्यवस्था की स्थिति का मुद्दा सूचीबद्ध है। गौरतलब है कि आरबीआई गवर्नर समिति के सामने ऐसे समय में पेश हो रहे हैं जब केंद्रीय बैंक और वित्त मंत्रालय के बीच कुछ मुद्दों को लेकर मतभेद सामने आ चुके हैं। इन मतभेदों को लेकर हाल ही में आरबीआई बोर्ड की अहम बैठक भी हुई थी।
Published: 27 Nov 2018, 7:34 PM IST
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Published: 27 Nov 2018, 7:34 PM IST