रिजर्व बैंक ने माना है कि देश में महंगाई बढ़ रही है और इसे 4 फीसदी के आसपास रखना मुश्किल हो रहा है। इस बैठक में कच्चे तेल की बढ़ती कीमत और रुपए में लगातार गिरावट के चलते महंगाई बढ़ने की आशंका जताई गयी थी। बैठक के मिनट्स से पता चलता है कि समिति ने महंगाई की रेंज औसतन 4 फीसदी रखने और इसमें 2 फीसदी के उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखा है। इसीलिए रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों को 6.5 फीसदी रखने पर ही सहमति जताई। समिति में 6 सदस्य हैं, जिनमें से 5 ने ब्याज दरों में नर्मी या तेज़ी करने के खिलाफ वोट दिया था।
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रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल ने बैठक में कहा कि, “महंगाई के लगातार खतरे को मानते हुए और लंबे समय तक 4 प्रतिशत की महंगाई दर लक्ष्य को हासिल करने के लिए, मौद्रिक नीति को ‘न्यूट्रल’ से ‘कैलिब्रेटेड टाइटनिंग’ की ओर मोड़ने की जरूरत है।” कैलिब्रेटेड टाइटनिंग का मतलब है कि मौजूदा दरों के चक्र यानी रेट साइकिल में, या रेपो रेट में कटौती नहीं होगी। उन्होंने कहा था कि, “हम हर नीतिगत बैठक में दरें बढ़ाने को बाध्य नहीं है।”
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वहीं रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के मुताबिक तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते और इसमें उछाल की आशंका दरों में कटौती नहीं की जाएगी। आचार्य ने कहा था कि, “इन सभी कारकों और मौद्रिक नीति समिति को मिले महंगाई दर के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, ऐसा महत्वपूर्ण है कि सावधानी पूर्वक सही समय पर आगे बढ़ा जाए, ताकि लगातार पिछले दो बार से बढ़ रही दरों के चलते अर्थव्यवस्था को काबू में करने का समय मिल सके।“
बैठक में समिति के सदस्य चेतन घाटने ने कहा था कि,”नीतिगत दरों में पिछली दो बार से हुई बढ़ोतरी के बावजूद, अगस्त से अब तक का डेटा दिखाता है कि महंगाई को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखना हमारे लिए मुश्किल होता जा रहा है।“
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