राजनीति में आने के ऐलान के बाद रजनीकांत पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं कि उनका अगला कदम किया होगा। वे 3 जनवरी को डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि से मुलाकात करेंगे। इस मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। इससे पहले रजनीकांत ने 31 दिसंबर 2017 को राजनीति में आने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि वह अपनी एक राजनीतिक पार्टी बनाएंगे जो तमिलनाडु में 2021 में होने वाले विधानसभा चुनावों में सभी 234 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। फिलहाल उन्होंने अपनी पार्टी के नाम का ऐलान नहीं किया है। रजनीकांत ने 2 जनवरी को मीडिया से बात की। इस दौरान उन्होंने अपनी प्रस्तावित पार्टी के नाम के सवाल पर कहा कि उन्हें खुद नाम पता नहीं है।
रजनीकांत ने कहा कि ईमानदार और धर्मनिरपेक्ष राजनीति ही आध्यात्मिक राजनीति है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में कई क्रांतियां शुरू हुईं, जिसमें महात्मा गांधी द्वारा मदुरै में 1921 में सिर्फ धोती पहनने और शाल ओढ़ने का लिया गया निर्णय शामिल है। इस बीच एआईएडीएमके से दरकिनार किए गए नेता टी.टी.वी. दिनाकरन ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि आध्यात्मिकता व्यक्तिगत मामला है और उसे राजनीति में लाने से उसका गलत परिणाम सामने आएगा।
रजनीकांत ने जब से नई पार्टी बनाने और आध्यात्मिक राजनीति करने की घोषणा की है, तब से कुछ लोग यह टिप्पणी कर रहे हैं कि उन्हें बीजेपी ने आगे बढ़ाया है और उनकी 'आध्यात्मिक राजनीति' हिंदुत्व के नए नाम के सिवा कुछ नहीं है। धर्मनिरपेक्ष देश में ऐसी राजनीति की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
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