राजस्थान सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण की दिशा में निरंतर कदम उठाए जा रहे हैं। जिसके अंतर्गत महिलांए सशक्त बनकर विभिन्न क्षेत्रों में पुरूषों की बराबरी करने में अव्वल बन रही हैं। यही वजह है कि कभी महिलाओं के सशक्तिकरण के मामलों में पिछडा माना जाने वाला राज्य आज राजस्थान महिलाओं के विकास की नई परिभाषा लिख रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रयासों का ही नतीजा है कि यहां की औरतें आज हर क्षेत्र में कामयाबी का परचम लहरा रही हैं।
राजस्थान सरकार महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए कई योजनाएं भी चला रही है। इन्हीं में से एक है इंदिरा महिला शक्ति उद्यम प्रोत्साहन योजना। राजस्थान सरकार ने इस योजना की शुरुआत 2019-20 में 100 करोड़ की राशि के साथ की थी। इसके तहत अब तक 883 महिलाओं को 44.38 करोड़ रुपए का ऋण दिया गया है। इस योजना के तहत आवेदक को एक करोड़ रुपए तक का लोन दिया जाता है। वहीं उन्हें ऋण राशि पर 25 प्रतिशत तक का अनुदान भी दिया जाता है।
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कोरोना काल में लाखों लोगों ने अपने रोजगार गंवाए। महिला-पुरुष दोनों की नौकरियां गईं। ऐसे में राजस्थान की गहलोत सरकार ने महिलाओं के लिए वर्क फ्राम होम योजना लाकर उन्हें घर बैठे रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए। राज्य सरकार का लक्ष्य इस योजना के तहत 20 हजार महिलाओं को रोजगार देने का था। फिलहाल सैंकड़ों महिलाएं इस योजना का लाभ ले रही हैं। इसी तरह ‘‘जाग्रति-बैक टू वर्क‘‘ योजना के तहत भी महिलाओं को घर बैठे रोजगार देनी की कोशिश हो रही है। इस योजना में 1607 महिलाओं ने जॉब-वर्क फ्राम होम के लिए आवेदन किए हैं।
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गहलोत सरकार राज्य में बालिकाओं के प्रति सोच को बदलने के लिए भी काम कर रही है। इसके लिए राज्य में मुख्यमंत्री राजश्री योजना चलाया जा रहा है। इस योजना के तहत 1 जून, 2016 या उसके बाद जन्म लेने वाली बालिकाओं के माता/पिता या अभिभावक को 6 किश्तों में कुल 50 हजार रूपए की राशि का भुगतान किया जाना सुनिश्चित किया गया है। प्रथम किश्त से 13,80,057, दूसरी किश्त से 12,68,902 तथा तीसरी किश्त से 4369 बालिकाएं लाभान्वित हुईं हैं।
वहीं दहेज जैसी कुप्रथा से लड़ने के लिए भी सरकार मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह एवं अनुदान योजना चला रही है। इस योजना के तहत सामूहिक विवाह के आयोजनों को प्रोत्साहित कर दहेज जैसे कुप्रथा को दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस योजना के तहत सरकार ने 13932 जोड़ों को 26 करोड 17 लाख रूपए का अनुदान दिया है।
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राज्य की बालिकाओं का सर्वांगीण विकास हो इसके लिए पढ़ाई से लेकर कमाई तक पर गहलोत सरकार काम कर रही है। इंदिरा महिला शक्ति प्रशिक्षण एवं कौशल संवर्द्धन योजना के माध्यम से महिलाओं और बालिकाओं को कंप्युटर की ट्रेनिंग दी गई। इनके पर्सनैलिटी डवलपमेंट को लेकर भी काम किया जा रहा है। इन योजनाओं का लाभ अब तक कई हजार महिलाओं और बालिकाओं ने उठाया है।
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शिक्षा से कोई वंचित न रहे इसके लिए स्कूल छोड़ चुकीं महिलाओं और बालिकाओं को राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल (RSOS) के माध्यम से माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षा से जोड़ने के लिए शिक्षा सेतु योजना लागू की गई है। इस योजना से प्रदेश की स्कूल छोड़ चुकी 136192 महिलाएं एवं बालिकाएं लाभान्वित होकर फिर से शिक्षा से जुड़ गई हैं। कौशल विकास और कौशल उन्नयन का प्रशिक्षण प्राप्त करने की इच्छुक महिलाओं और बालिकाओं को लघु और दीर्घ अवधि के प्रशिक्षण के अवसर प्रदान किए गए।
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ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की महिलाओं की शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और सामाजिक समस्याओं को सुनने के लिए राज्य के प्रत्येक जिला मुख्यालय पर इंदिरा महिला शक्ति केंद्रों की स्थापना की गई है। इन केंद्रों के माध्यम से महिलाएं उचित सलाह प्राप्त कर रही हैं। इंदिरा महिला जागरूकता शिक्षा कार्यक्रम के तहत 1.82 करोड रूपए खर्च कर विभाग की योजनाओं का प्रचार प्रसार व जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। वहीं इनकी सभी समस्या का समाधान एक जगह हो इसके लिए सखी केंद्र खोला गया है। इसके जरिए अब तक 9261 प्रकरणों का निस्तारण किया गया और इस वर्ष 1298 मामलों में महिलाओं को सहायता प्रदान की गई। इस प्रकार महिला सुरक्षा एवं सलाह केंद्र के माध्यम से अब तक 21195 मामलों में महिलाओं को सहायता एवं मार्गदर्शन किया गया। साल 2022-23 में 2214 प्रकरणों में महिलाओं को सहायता प्रदान की गई।
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इंदिरा महिला शक्ति प्रोत्साहन एवं सम्मान योजना के तहत महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों, संस्थाओं को प्रतिवर्ष 8 मार्च को आयोजित महिला दिवस पर पुरस्कृत किया जाता है। इसमें विभिन्न श्रेणियों जैसे व्यक्तिगत/संस्थागत, महिला एवं बाल विकासकर्मी, दानदाता/सीएसआर में पुरस्कार दिए जाते हैं।
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