27 जून की सुबह भीलवाड़ा शहर के वार्ड नंबर एक के मंगलपुरा के दलितों के लिए कहर बनकर आई, जब मामूली कहा-सुनी एक जातीय संघर्ष में बदल गई।
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के पुर थाना क्षेत्र का मंगलपुरा गांव वैसे तो नगर परिषद क्षेत्र का हिस्सा है, जिसमें सभी समुदायों के लोग रहते हैं। यहां बहुलता जाट समुदाय की है। यहां के ज्यादातर जाट युवा शिवसेना, बजरंग दल, विहिप जैसे संगठनों में सक्रिय नजर आते हैं। इसी गांव में अनुसूचित जाति के बलाई परिवारों पर गांव के ही जाट समुदाय के कुछ लड़कों ने सुबह-सुबह हमला कर दिया, जिसमें कई लोग ज़ख्मी हो गये।
पीड़िता सायरी बलाई द्वारा दर्ज करवाई गई रिपोर्ट में बताया गया कि सुबह 8:30 बजे उनके ही पड़ोसी शिवराम जाट, शंकर लाल जाट, गोपाल जाट, राधेश्याम जाट और राजू जाट सहित कुछ अन्य लोगों ने लाठियों से लैस होकर उनके घर में जबरन प्रवेश किया और जातिगत गालियां देते हुए अचानक हमला बोल दिया। हमलावर दलितों पर आरोप लगा रहे थे कि दलितों ने उनके खेत में गड्ढे (खेत में बनाए जाने वाले मेढ़) खोद दिए जबकि दलितों का कहना है कि उन्होंने जाटों की जमीन में कोई गड्ढे नहीं खोदे, बल्किअपनी जमीन में ही काम किया।
पीड़ित दलितों ने आरोप लगाया है कि लठैत जाटों ने दलित महिलाओं को विशेष रूप से निशाना बनाया और उन्हें घसीटकर पीटते हुए घरों से बाहर निकाला और सार्वजनिक रूप से उनके कपड़े फाड़ डाले। एक आरोपी तो कपड़े खोलकर एक दलित लड़की पर बैठ भी गया। वहीं, एक गर्भवती दलित महिला माया के पेट और सिर में चोट लगने की वजह से वह गंभीर रूप से घायल हो गई। उसे जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।
इस हमले में एक दर्जन दलित जख्मी हुए हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, करीब 40 मिनट तक हमलावर लठैत दलितों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटते रहे। इस दौरान किसी ने पुलिस को भी सूचित किया, लेकिन पुलिस समय पर नहीं पहुंच पाई।
वहीं, पुर थाना पुलिस का कहना है कि यह एक पुराना भूमि विवाद है, जिसके चलते यह संघर्ष हुआ है। पुलिस के अनुसार दोनों तरफ से उन्हें शिकायतें मिली हैं और दोनों तरफ के लोगों को चोटें भी आई हैं, जिनका मेडिकल करवाया गया है। शांति भंग करने की आशंका में फिलहाल दो जाट युवकों शंकर लाल और शिवराज को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं, पीड़ित पक्ष का कहना है कि उनकी रिपोर्ट लेने में भी पुलिस ने जानबूझकर देरी की है। जबकि मंगलपुरा के जाट समुदाय का कहना है कि मारपीट की शुरुआत दलितों की ओर से की गई थी।
Published: 27 Jun 2018, 5:47 PM IST
दलित उत्पीड़न और साम्प्रदायिक तनाव से पीड़ित भीलवाड़ा जिले में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले इस तरह के जातीय संघर्ष का होना राजनीतिक समीकरण बदल सकता है और दोनों ही प्रमुख दलों के उम्मीदवारों के लिए काफी मुश्किल पैदा कर सकता है।
जिले में हुए इस जाट-दलित संघर्ष की गूंज चारों तरफ सुनाई पड़ रही है। हालांकि, प्रशासन भी इसको लेकर के काफी चौकन्ना नजर आ रहा है। वहीं, जाट समाज के बुद्धिजीवियों, नेताओं और जातीय पंचों ने भी इस घटना को लेकर काफी सतर्क प्रतिक्रिया दी है। कुछ राज्य स्तरीय जाट नेताओं ने तो बकायदा इस घटना की निंदा की है।
प्रदेश के दलित संगठनों ने राज्य की बीजेपी सरकार की विफल कानून व्यवस्था को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
फिलहाल मंगलपुरा गांव में शांति है, लेकिन तनाव पसरा हुआ है।
(लेखक सामाजिक कार्यकर्ता और स्वतंत्र पत्रकार हैं। लेख के विचारों से नवजीवन की सहमति अनिवार्य नहीं है)
Published: 27 Jun 2018, 5:47 PM IST
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: 27 Jun 2018, 5:47 PM IST