देश में कोरोना संकट के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कहा कि भारत में लॉकडाउन को 45 दिन हो चुके हैं। जहां एक तरफ पूरा देश कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ संपूर्ण लॉकडाउन के चलते आई भयानक आर्थिक सूनामी के बादल देश पर मंडरा रहे हैं। यह तो तय है कि केंद्रीय सरकार की ओर से बड़े आर्थिक सहायता पैकेज के बिना देश की अर्थव्यवस्था का पहिया फिर से पटरी पर लाना संभव नहीं होगा।
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राहुल गांधी ने आगे कहा कि दुनिया के अधिकांश देश अर्थव्यवस्था को दोबारा शुरू करने एवं अपने नागरिकों की परेशानियों को दूर करने के लिए बड़े आर्थिक पैकेजों की घोषणा पहले ही कर चुके हैं। लेकिन भारत में कमजोर वर्गों जैसे किसान, प्रवासी मजदूर व दैनिक श्रमिकों तथा उद्योग, जैसे ट्रैवल एवं टूरिज़्म, ऑटोमोबाइल, रिटेल आदि, जिन्हें लॉकडाउन का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, उनकी सहायता के लिए एक आर्थिक पैकेज की घोषणा पर टाल मटोल की जा रही है।
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कहना है कि केंद्र सरकार इस पैकेज की घोषणा करने में जितना समय लगाएगी, लोगों की परेशानियां उतनी ही बढ़ेंगी और अर्थव्यवस्था को पुनः शुरू करना उतना ही ज्यादा कठिन होता जाएगा। कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के परामर्श की प्रक्रिया द्वारा तैयार किए गए आर्थिक पैकेज की रूपरेखा के मुख्य बिंदुओं के बारे में बताया। राहुल गांधी ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि केंद्र सरकार इन सुझावों पर विचार करेगी और अपने आर्थिक पैकेज में इन सुझावों को शामिल कर बिना किसी देरी किए देशवासियों के लिए आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा करेगी।
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सबसे गरीब 13 करोड़ परिवारों को 'आय का सहयोग' मिले। हर परिवार को 7500 रु. दिए जाएं। यदि 13 करोड़ परिवारों में से प्रत्येक को कम से कम 5,000 रु. भी दिए जाएं, तो कुल 65,000 करोड़ रु. की आवश्यकता है, जो जरूरी भी है व सरकार आसानी से इसे वहन कर सकती है।
मनरेगा के तहत 100 दिनों के गारंटीड रोजगार को बढ़ाकर 200 दिन किया जाए, जिससे मजदूरों को आय के ज्यादा अवसर व राहत मिल सके। हमारी 28 से 30 प्रतिशत जनसंख्या शहरों में रहती है। मनरेगा जैसी गारंटीड रोजगार योजना को शहरों में भी शुरू किया जाए।
पीडीएस यानि जन वितरण प्रणाली के दायरे से बाहर रह गए 11 करोड़ लोगों को भी खाद्य सुरक्षा दी जाए। हमारे गोदाम अनाज से लबालब भरे हैं। अगले छः माह तक हर व्यक्ति को प्रतिमाह 10 किलोग्राम अनाज (चावल या गेहूं), 1 किलोग्राम दाल और 1 किलोग्राम चीनी दी जाए।
अन्नदाता किसान को ताकत व मदद दी जाए
6.25 करोड़ सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम औद्योगिक इकाईयां 11 करोड़ से ज्यादा नौकरियों का सृजन करती हैं। एमएसएमई के लिए 1 लाख करोड़ रु. की ‘वेज़ प्रोटेक्शन स्कीम’ एवं 1 लाख करोड़ रु. की ‘क्रेडिट गारंटी स्कीम’ दी जाए। एमएसएमई द्वारा लिए गए लोन पर छः माह के ब्याज के बराबर छः माह की ब्याज सब्सिडी दी जाए।
इसी तरह की क्रेडिट गारंटी एवं ब्याज सब्सिडी की सुविधाएं बड़े उद्योगों को भी दी जाएं, बशर्ते वो अपनी एंसिलरी/सहायक इकाईयों को भी सहयोग करें। इससे वैल्यू चेन की गाड़ी गति से चलेगी और नौकरियों में कटौती नहीं करनी पड़ेगी।
हॉटस्पॉट को छोड़कर अन्य जगहों पर रिटेल सप्लाई चेन पुनः शुरू की जानी चाहिए। इससे पूरे भारत में लगभग 7 करोड़ दुकानदार भाईयों को अपना व्यवसाय पुनः शुरू करने में राहत मिलेगी।
कुछ राज्यों में ट्रेन निरस्त होने एवं प्रवासी मजदूरों को अपने-अपने स्थानों पर फंसे रहने को मजबूर होने की खबरों से मुझे काफी दुख व पीड़ा हुई है। वो कोई बंधुआ मजदूर नहीं और उन्हें अपनी स्वेच्छा से अपने घर वापस जाने की अनुमति मिलनी चाहिए। बसों व ट्रेनों को चलाए जाने की घोषणा किए जाने के बाद भी हजारों मजदूर अपने अपने गांवों को पैदल जाने को मजबूर क्यों हैं? सरकार इस बारे कारगर कदम उठाए।
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