भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने पीएम मोदी की ड्रीम प्रोजेक्ट मानी जाने वाली मुद्रा योजना पर सवाल खड़े किये हैं। पूर्व आरबीआई गवर्नर राजन ने लोकसभा की आकलन समिति को भेजे अपने पत्र में चेतावनी दी है कि मुद्रा लोन जैसी मोदी सरकार की कई योजनाओं से बैंकों के एनपीए की स्थिति और गंभीर हो सकती है। उन्होंने इसके अलावा किसान क्रेडिट कार्ड जैसी मोदी सरकार की कई योजनाओं को भी एनपीए बढ़ाने वाला बताया है। गौरतलब है कि पीएम मोदी और उनकी पार्टी बीजेपी मुद्रा लोन जैसी योजनाओं को रोजगार सृजन के बड़े कदम के तौर पर बताते रहे हैं।
राजन ने अपने पत्र में कहा है कि सरकार को भविष्य में संकट के लिए जिम्मेदार हो सकने वाले कारणों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने मुद्रा लोन, किसान क्रेडिट, एमएसएमई क्रेडिट गारंटी जैसी योजनाओं को एनपीए बढ़ाने वाले नए स्रोत बताया है। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि मुद्रा लोन और किसान क्रेडिट कार्ड जैसी योजनाएं लोकप्रिय तो हैं, लेकिन इनसे कर्ज जोखिम के बढ़ने की संभावना है। इस जोखिम को देखते हुए इन योजनाओं की गहनता से परीक्षण किये जाने की आवश्यकता है। साथ ही राजन ने ये भी कहा कि सेबी की एमएसएमई क्रेडिट गारंटी स्कीम में भी देनदारी लगातार बढ़ रही है, जिसपर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। राजन ने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार को महत्वाकांक्षी कर्ज लक्ष्यों और कर्जमाफी से जैसे कदम से बचना चाहिए।
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बता दें कि लोकसभा की एक आकलन समिति ने पूर्व गवर्नर से समिति के समक्ष पेश होकर या पत्र के जरिये बैंकों के एनपीए पर अपना पक्ष रखने के लिए कहा था। जिसके बाद रघुराम राजन ने एनपीए पर समिति को एक पत्र के जरिये सिलसिलेवार ढंग से अपना जवाब दिया है। अपने पत्र में उन्होंने बैंकिंग धोखाधड़ी के मामले को लेकर भी बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि जब वह गवर्नर थे, तब उन्होंने पीएमओ को बैंकों से धोखाधड़ी के हाई प्रोफाइल केसों की एक लिस्ट भेजी थी और उनमें से कुछ घोटालेबाजों की गिरफ्तारी की गुजारिश भी की थी। उन्हगोंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि उस मामले में कोई कार्रवाई हुई भी या नहीं। लेकिन यह ऐसा मामला है जिसमें तत्परता से कार्रवाई होनी चाहिए थी। राजन ने ये कहा कि दुर्भाग्यवश किसी भी एक बड़े घोटालेबाज की गिरफ्तारी नहीं हो सकी, जिसकी वजह से ऐसे मामलों में कोई कमी नहीं आ सकी। बता दें कि राजन सितंबर 2013 से सितंबर 2016 तक आरबीआई के गवर्नर थे।
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