राफेल विमान डील को लेकर मोदी सरकार के बचाव में उतरे दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर के समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू को लेकर सवाल उठने लगे हैं। ट्रैपियर के इस इंटरव्यू को एकतरफा बताते हुए कई लोग इसमें पूछे गए सवालों और उनपर ट्रैपियर के गोलमोल जवाब को लेकर सवाल उठा रहे हैं। मंगलवार को दिए इस एकतरफा इंटरव्यू में ट्रैपियर ने राफेल डील में घोटाले के आरोपों को गलत बताते हुए दावा किया कि डील के लिए ऑफसेट पार्टनर के तौर पर अनिल अंबानी की कंपनी चुनने का फैसला उनका था।
गौरतलब है कि एक दिन बाद यानी बुधवार को राफेल डील के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है और इससे ठीक एक दिन पहले न्यूज एजेंसी एएनआई ने दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर से एक इंटरव्यू किया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि कंपनी के भारत और कांग्रेस से बहुत पुराने संबंध हैं और वो झूठ नहीं बोलते हैं। लेकिन इस इंटरव्यू को लेकर देश के बुद्धिजीवी वर्ग में ये चर्चा छिड़ गई है कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से ठीक एक दिन पहले इस इंटरव्यू का मकसद क्या है और क्या कोई शख्स खुद ये बात स्वीकार कर सकता है कि उसने झूठ बोला है।
बता दें कि पिछले दिनों एरिक ट्रैपियर ने कहा था कि कंपनी ने अनिल अंबानी का चुनाव खुद किया था और उस पर कोई दबाव नहीं था। ताजा इंटरव्यू में भी एक बार फिर वह यही बात दोहराते दिखे।
पत्रकार और रक्षा विशेषज्ञ अजय शुक्ला ने इस इंटरव्यू और इसमें पूछे गए सवालों पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। अजय शुक्ला ने एक ट्वीट में लिखा कि “इस इंटरव्यू में कोई इंटरव्यू लेने वाला नहीं है, इसमें सिर्फ इंटरव्यू देने वाले एरिक ट्रैपियर हैं और इंटरव्यू का सेट है जिसमें राफेल विमान और एएनआई की संपादक स्मिता प्रकाश शामिल हैं। इंटरव्यू में स्मिता प्रकाश की तरफ से कोई भी मुश्किल सवाल नहीं पूछा गया। प्रोपगंडा का मंत्रालय जिंदा और अच्छा है।”
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अजय शुक्ला ने इस इंटरव्यू पर हैरानी जताते हुए कहा कि ये सवाल पूछे जाने चाहिए थे कि 126 विमानों के सौदे में प्रति विमान की क्या कीमत थी और 36 विमान के सौदे में क्या कीमत थी? अजय शुक्ला ने कहा कि ये सवाल भी पूछा जाना चाहिए था कि “क्या ये सच है कि राफेल विमान जो अगले साल से स्पलाई होने हैं, उनमें अभी वो सारी क्षमताएं नहीं होंगी जो समझौते में शामिल हैं और क्या उनको बाद में जोड़ा जाएगा। क्या आप भारत को कम क्षमता वाले विमान दे रहे हैं?”
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अजय शुक्ला ने दूसरे ट्वीट में कहा कि स्मिता प्रकाश को पूछना चाहिए था कि “क्या ये सच नहीं है कि भारत सरकार ने 2015 के आखिर में ऑफसेट पार्टनर के नियमों में बदलाव किया था ताकि जांच-परख के लिए ऑफसेट पेशकशों को जाहिर करने की आप पर जो बाध्यता थी वह खत्म हो जाए।” उन्होंने ट्वीट के जरिये स्मिता प्रकाश से कहा कि उन्हें ट्रैपियर से ये सवाल पूछना चाहिए था कि आप भारत को रणनीतिक साजो-सामान सप्लाई कर रहे हैं। ऐसे में कौन सी कंपनी है जो पाकिस्तान एयर फोर्स को मिराज सप्लाई कर रही है और क्या यह सवाल अहम नहीं है?
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अजय शुक्ला के सवालों में हकीकत नजर आती है कि एरिक ट्रैपियर से सिर्फ आसान सवाल किये गए हैं और उनको सिर्फ वो बातें कहने का मौका दिया गया है, जिससे दसॉल्ट और सरकार को फायदा पहुंचे। इस इंटरव्यू के वक्त और सवालों को लेकर जो सवाल उठाए जा रहे हैं उनको नजरअंदाज नहीं किया सकता।
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी इस इंटरव्यू को गढ़ा हुआ झूठ बताते हुए कहा है कि देश को फर्जी सफाई नहीं, बल्कि कानूनी जांच चाहिए। उन्होंने कहा कि यह बीजेपी और दसॉल्ट एविएशन के बीच फिक्स्ड मैच है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एरिक ट्रैपियर की पीआर की कोशिशें भ्रष्टाचार को नहीं छिपा सकती हैं।
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