एक ओर पीएम मोदी किसानों को सम्मान देने का दावा करते हैं, वहीं दूसरी तरफ पिछले 6 साल में देश के 3 करोड़ से ज्यादा खेतिहर मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। इस अवधि में मोदी सरकार का 5 साल का कार्यकाल भी शामिल है। नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) के सर्वे के आधार पर छपी इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार बीते वित्त वर्ष 2011-12 से 2017-18 के दौरान यानी 6 साल में देश के ग्रामीण क्षेत्रों में 3 करोड़ से ज्यादा खेतिहर मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। यह गिरावट लगभग 40 प्रतिशत है।
एनएसएसओ के पिरयॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) की रिपोर्ट के अनुसार इन 6 सालों में करीब 3.2 करोड़ अनियमित मजदूर बेरोजगार हुए हैं। इनमें से अधिकतर कृषि कार्य से जुड़े थे। लैंगिक आधार पर देखें तो इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और गैर कृषि क्षेत्र में लगे 7.3% पुरुष और 3.3% महिला मजदूर बेरोजगार हुए हैं।
इस सर्वे के अनुसार वित्त वर्ष 2017-2018 में साल 2011-12 की तुलना में राष्ट्रीय पुरुष कार्यबल 30.4 करोड़ से घटकर 28.6 करोड़ पहुंच गया। रिपोर्ट के अनुसार इसका असर यह हुआ कि पूरे भारत का राष्ट्रीय कार्यबल 4.7 करोड़ घट गया। हालांकि, रिपोर्ट में सेल्फ इम्पलॉयड फार्म लेबर में 4% की वृद्धि की ओर इशारा किया गया है, लेकिन विशेषज्ञों का साफ कहना है कि अनियमित मजदूरों के अचानक से खेतों के मालिक बनने की कोई संभावना नहीं है। ऐसे में इस स्थिति को कृषि में आंशिक ठहराव के तौर पर माना जाना चाहिए।
खास बात ये है कि तमाम प्रक्रियाओं से गुजरने और एनएसएसओ की मंजूरी मिलने के बावजूद सरकार ने अब तक इस सर्वे को जारी नहीं किया है। गौरतलब है कि सरकार द्वारा सर्वे को जारी करने में जानबूझकर की जा रही देरी को लेकर इसी साल जनवरी में आयोग के दो सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था। माना जा रहा है कि आम चुनावों के कारण सरकार इस सर्वे को जारी करने से बच रही है।
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