पंजाब के किसानों ने मंगलवार को दावा किया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए केंद्रीय बजट में कृषि क्षेत्र की ‘अनदेखी’ की गई है और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने पर भी चुप्पी साधी गई है।
सीतारमण ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की, जिसमें अनुसंधान और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने, तिलहन और दलहन उत्पादन को बढ़ाने और कृषि परिदृश्य में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने के लिए एक व्यापक योजना की रूपरेखा तैयार की गई है।
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अपने बजट भाषण में सीतारमण ने उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु-सहिष्णु फसल किस्मों को विकसित करने के लिए कृषि अनुसंधान ‘सेटअप’ की गहन समीक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया।
हालांकि, किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के नेता सरवन सिंह पंढेर ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि बजट में कृषि क्षेत्र की 'अनदेखी' की गई है। पंढेर ने कहा, ‘‘बजट में न तो एमएसपी को कानूनी गारंटी देने की बात है और न ही कृषि ऋण माफी की।’’
उन्होंने कहा कि इसके अलावा बजट में कृषि क्षेत्र के विकास के लिए कोई योजना नहीं है। पंढेर ने कहा, ‘‘यह एक दिशाहीन और निराशाजनक बजट है। इसमें कृषि क्षेत्र के लिए कोई दृष्टि नहीं है।’’
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संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो कुल बजट का सिर्फ तीन प्रतिशत है।
दल्लेवाल ने दावा किया कि केंद्र लगातार कृषि क्षेत्र की ‘अनदेखी’ कर रहा है, उन्होंने कहा कि कुल बजट में कृषि क्षेत्र का हिस्सा और अधिक होना चाहिए था।
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एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम, किसानों द्वारा 'दिल्ली चलो' मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं ताकि सरकार पर उनकी मांगों को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाया जा सके। इन मांगों में फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी देने की बात शामिल है।
प्रदर्शनकारी किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डटे हैं। उस समय सुरक्षा बलों ने उनके मार्च को रोक दिया था।
एक अन्य किसान नेता हरमीत सिंह कादियान ने केंद्रीय बजट को किसानों के लिए ‘फ्लॉप बजट’ कहा। कादियान ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘कोई ऋण माफी नहीं, कोई विविधीकरण पैकेज नहीं, कोई कृषि-निर्यात नहीं, कोई कृषि-औद्योगिक पैकेज नहीं और एमएसपी को वैध बनाने के लिए कोई बजट नहीं।’’
पीटीआई के इनपुट के साथ
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