आम आदमी पार्टी (आप) के केंद्रीय नेतृत्व को खुली चुनौती देते हुए पंजाब में विपक्ष के नेता पद से हटाए गए सुखपाल सिंह खैरा ने गुरुवार को बठिंडा में एक रैली आयोजित की। खैरा ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यह सम्मेलन यह बताने के लिए आयोजित किया गया है कि पंजाब में आप नेताओं और कार्यकर्ताओं के पास अपने विचार रखने और उन्हें व्यक्त करने का अधिकार है। खबरों के मुताबिक गुरुवार को पंजाब में आप के 20 विधायकों से 11 दिल्ली में मौजूद थे, जबकि बाकी विधायकों ने सम्मेलन में हिस्सा लिया।
सम्मेलन में सुखपाल सिंह खैरा ने कहा, “मेरी लड़ाई पंजाब के भले के लिए है। मैं किसी पद का आकांक्षी नहीं हूं। प्रदेश को बादल परिवार और अमरिंदर सिंह के बुरे शासन ने बर्बाद कर दिया है। मैं सारे पंजाबियों के लिए आवाज उठाऊंगा।” सम्मेलन में पार्टी की पंजाब इकाई के सांगठनिक ढांचे को तोड़ने का प्रस्ताव भी पारित हुआ और घोषणा की गई कि उसके पास राज्य की भलाई के लिए खुद निर्णय लेने का अधिकार है। बाद में सम्मेलन की सफलता से उत्साहित खैरा ने ट्वीट किया कि “अपने खर्च पर इतनी बड़ी संख्या में बठिंडा में जुटने के लिए आप के बहादुर कार्यकर्ताओं का शुक्रिया अदा करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है। अब पंजाब और खैरा की धरती पर अपनी किस्मत का फैसला खुद पंजाबी लोग ही करेंगे।”
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हालांकि, इधर दिल्ली में आप के केंद्रीय नेतृत्व ने इस कार्यक्रम को पार्टी विरोधी गतिविधि बताया है। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने पंजाब में पार्टी के भीतर विवाद के लिए आरएसएस, शिरोमणि अकाली दल, बीजेपी और बैंस बंधुओं को जिम्मेदार ठहराया। बता दें कि पार्टी ने खैरा को नेता विपक्ष के पद से हटाने के बाद दलित नेता हरपाल सिंह चीमा को विपक्ष का नेता नियुक्त किया है। पिछले साल हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में राज्य की 117 सीटों में से 20 सीटें जीतकर आप मुख्य विपक्षी पार्टी बनी थी।
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