लगता है जनता दल यूनाइटेड में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। खबर है कि जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार अपने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर से नाराच चल रह हैं। दरअसल रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने हाल में ऐसे बयान दिए हैं, जो आने वाले चुनावों में जेडीयू के लिए मुसीबत साबित हो सकते हैं और विपक्ष इसका सियासी फायदा उठा सकता है।
प्रशांत किशोर ने बीजेपी के साथ दोबारा गठजोड़ करने के नीतीश कुमार के फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि वह बीजेपी के साथ दोबारा गठजोड़ करने के अपनी पार्टी के अध्यक्ष नीतीश कुमार के तरीके से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि महागठबंधन से निकलने के बाद एनडीए में शामिल होने से पहले नीतीश कुमार को आदर्श रूप से नए सिरे से जनादेश हासिल करना चाहिए था। प्रशांत किशोर के इस बयान से साफ है कि वो नीतीश कुमार के महागठबंधन से नाता तोड़ने के फैसले से खुश नहीं है। उन्होंने यह बातें एक साक्षात्कार के दौरान कही है। उनका यह साक्षात्कार सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
प्रशांत किशोर के इस बयान से उनकी पार्टी नाराज बताई जा रही है। हालांकि, साक्षात्कार में किशोर ने यह भी कहा कि नेताओं का पाला बदलना कोई नई बात नहीं है। लेकिन उनका मानना है कि ऐसा करने से पहले नीतीश कुमार को नए सिरे से जनाधार हासिल करना चाहिए था।
प्रशांत किशोर ने कहा कि महागठबंधन से जुलाई 2017 में अलग होने का नीतीश का फैसला सही था या नहीं इसे मापने का कोई पैमाना नहीं है। लेकिन जो लोग उनमें (नीतीश) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने की संभावना देखते थे, वे इस कदम से निराश हुए।
पार्टी के नेता प्रशांत किशोर की बातों से सहमत नहीं हैं। जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि वो राजनीति में अभी नए-नए आए हैं। लेकिन मैं याद दिलाना चाहता हूं कि जब बीजेपी के साथ गठबंधन का फैसला लिया गया था तो वो भी उस घटनाक्रम में शामिल थे। अब वह जनादेश लेने पर प्रवचन दे रहे हैं।
इसके अलावा हाल ही में कई ऐसी बातें हुई हैं जिससे साबित होता है कि जदयू और प्रशांत किशोर दोनों अलग-अलग धारा में चल रहे हैं। बेगूसराय के शहीद पिंटू सिंह को जब सरकार और पार्टी की ओर से कोई श्रद्धांजलि देने नहीं गया, तब प्रशांत ने सरकार और पार्टी की ओर से माफी मांगी। मुजफ्फरपुर में कहा कि उन्होंने देश में पीएम और सीएम बनाए हैं, अब वह युवाओं को भी सांसद, विधायक बनाएंगे।
बता दें कि प्रशांत किशोर ने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान जेडीयू के लिए रणनीतिकार के तौर पर काम किया था। महागठबंधन ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था। चुनाव में बीजीपी की करारी हार हुई थी और नीतीश कुमार भारी बहुमत के साथ मुख्यमंत्री बने थे। बाद में उन्होंने महागठबंधन का साथ छोड़ बीजेपी से हाथ मिलाया और दोबारा मुख्यमंत्री बन गए।
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