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प्रशांत भूषण ने चीफ जस्टिस के खिलाफ दायर की शिकायत, ‘उन’ 4 जजों के साथ जस्टिस सीकरी से भी की जांच की अपील

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा है कि उन्होंने चीफ जस्टिस दीपक मिश्र के खिलाफ ‘मेडिकल घोटाले’ में एक शिकायत दायर की है और कोर्ट के पांच सीनियर जजों से इसकी जांच की अपील की है।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया बाएं से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा

कैंपेन फॉर जुडिशियल अकाउंटबिलिटी एंड रिफॉर्म्स के संयोजक के तौर पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सूप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ अंदरूनी जांच की मांग की है और कहा है कि सीजेआई ने स्पष्ट तौर पर गंभीर कदाचार के कई कार्य किए हैं, जिनकी जांच इस न्यायालय के तीन या पांच न्यायाधीशों की एक समिति द्वारा की जानी चाहिए।

भूषण ने जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस ए के सीकरी को संबोधित अपनी शिकायत में चीफ जस्टिस पर चार आरोप लगाए हैं। भूषण ने कहा है, "प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट मामले से संबंधित तथ्यों और परिस्थितियों से प्रथम दृष्ट्या ऐसे सबूत सामने आते हैं, जो यह कहते हैं कि सीजेआई मिश्र मामले में अवैध रिश्वत के भुगतान की साजिश में शामिल हो सकते हैं, जिसकी कम से कम एक गहन जांच की जरूरत है।"

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भूषण ने अपनी शिकायत में ओडिशा हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस आई एम कुद्दुसी, बिचौलिए विश्वनाथ अग्रवाल और प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के बी पी यादव के बीच हुई बातचीत का भी जिक्र किया है, जिसे टैप किया गया था। कुद्दुसी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, और फिलहाल वह जमानत पर हैं।

प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट को भारतीय चिकित्सा परिषद यानी मेडिकल काउंसिल ने मेडिकल के छात्रों का प्रवेश लेने से रोक दिया था, और उसके बाद संस्थान ने इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

प्रशांत ने प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस नारायण शुक्ला के खिलाफ मामला दर्ज करने की सीबीआई को अनुमति न देने के जस्टिस मिश्रा के कदम पर भी अपनी शिकायत में सवाल उठाया है। 24 पृष्ठों की शिकायत में कहा गया है, "उपरोक्त दर्ज मामलों ने न्यायालय की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है और न्यायपालिका को बदनाम किया है। यह एक ऐसा मामला है, जिसे तत्काल देखने की जरूरत है।"

उन्होंने शिकायत में कहा है, "जांच तेजी के साथ होनी चाहिए, ताकि न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को और नुकसान न पहुंचे और इसकी ईमानदारी व स्वतंत्रता बरकरार रहे।"

Published: 17 Jan 2018, 12:11 AM IST

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Published: 17 Jan 2018, 12:11 AM IST